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________________ विशेषाव० श्रीवीरविभुभवः कोव्याचा * वृत्ती + // 468 // // 468 // 4% % दूइजंतग पिउणो (वयंसता तिव्वअभिग्गहापंच। अचियत्तोरगहण वसणं निचं वोस? मोणेणं // 1913 // पाणिप्पत्तं गिहिवंदणं च तह वद्धमाणवेगवई / (धणदेवसूलपाणीदसम्म वासहियग्गामे) // 1914 // (रोदा य सत्त वेयण थुइ दस सुमिणुप्पलऽद्धमासे य)। (मोराए सकारं सको अच्छंदए कुविओ)॥१९१५॥ (भीमट्टहास हत्थी पिसायनागे य वेयणा सत्त)। (सिरकण्ण नास दंते नहाच्छि पट्ठीय सत्तमिया)॥१९१६॥ (तालपिसायं दो कोइलाय दामदुगमेव गोवग्गं)। (सर सागर सूरते मंदर सुविणुप्पले चेव) // 1917 // (मोहे यशाण पवयण धम्मे संघे य देवलोए य)।संसारे नाण जसे धम्म परिसाएँ मझमि // 1918 // मोरागसण्णिवेसे पाहिं सिद्धत्थ तीतमाईणि / साहइ जणस्स अच्छंद पओसो छेअणे सक्को // 1919 // तणछेयंगुलि कम्सार वीरघोसमहिसेंदु दसपलिया। (बिइंदसम्मऊरण बयरीए दाहिणुक्कुरुडे)॥१९२०॥ (तइयमवच्चं भज्जा कहेहि नाहं तओ पिउवयंसो)। (दाहिणवाया)ले सुवण्णवालुगा कंटए वत्थं // 1921 // उत्तरवाचालंतरि वणसंडे चंडकोसिओ सप्पो। ण डहे चिंता सरणं जोइस कोवाहिलाओऽहं // 1922 / / उत्तरवाचाला नागसेणखीरेण भोयणं दिव्वा / से(यविया य पएसी) पंचरहे निजरायाणो // 1923 // सुरभिपुरसिद्धयत्तो गंगा कोसिय विदूय खेमिलओ।नागसुदाढे सीहे कंबलसबलाय जिणमहिमं // 1924 // महुराए जिणदासे आभीरवीवाह गोण उववासे। भंडीरमित्त अवच्चे भत्ते वा (णा)गोहि आगमणं // 1925 / / वीरवरस्स भगवओनावारूढस्सकासि उवसग्गं / मिच्छादिद्विपरद्धं कंबलसवला समुत्तारे // 1926 // % % AANAGAR % A5
SR No.600320
Book TitleVisheshavashyak Bhashyam Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinbhadra Gani Kshamashraman
PublisherRushabhdev Keshrimal Shwetambar Samstha
Publication Year1937
Total Pages504
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size40 MB
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