________________ ** C46 ऋषभ विशेषाव० कोट्याचार्य वृत्ती // 459 // *** * तं दाएति जिणिंदो एव नरिंदेण पुच्छिओ संतो / धम्मवरचक्कवट्टी अपच्छिमो वीरनामोत्ति // 1787 // आइगरोदसाराणं तिविठु नामेण पोयणाहिवई। पियमित्तचक्कवट्टी मूयाएँ विदेहवासंमि // 1788 // निर्वाण तं वयणं सोऊण राया अंचियतणूरुहसरीरो।अभिवंदिऊण (आपुच्छिऊण)पियरंमिरीइ अभिवंदओजाइ॥१७८९॥५ सो विणएण उवगओ काऊण पयाहिणं च तिक्खुत्तो। वंदइ अभित्थुणंतो इमाहिं महुराहिं वरहिं // 1790 // लाभा हु ते सुल (द्धाजंसि तुम) धम्मचक्कवट्टीणं / होहिसि दसचोइसमो अपच्छिमो वीरनामोत्ति // 1791 // आइकरो दसाराणं तिविट्ठ नामेण पोयणाहिवई / पियभित्तचक्कवही मूयाएँ विदेहवासंभि // 1792 // (नाविय पारिव्वजं वदामि अहं इमं च ते जम्म)। (जं हो) हिसि तित्थयरो अपच्छिमो तेण वदामि // 1793 // एवण्हं थोऊणं काऊण पयाहिणं च तिक्खुत्तो / आपुच्छिऊण पियरं विणीयनगरि अह पविट्ठो॥१७९४ // | तं वयणं सोऊणं तिवति अप्फोडिऊण तिक्खुत्तो। अन्भहियजायहरिसो तत्थ मिरीयी इमं भणइ // 1795 // जइ वासुदेव पढमो मूयविदेहाइ (मूयाइ विदेह) चकवहितं / चरमो तित्थयराणं होउ अलं एत्तियं मझ // 1796 // अयं च दसाराणं पिया य मे चक्कवदिवंसस्स / अज्जो तित्थगराणं अहो कुलं उत्तम मज्झ // 1797 // अह भगवं भवमहणो संपुण्णं पुव्वसयसहस्संतु। अणुपुब्विं विहरित्ता पत्तो अट्ठावयं सेलं // 1798 // अट्ठावयंमि सेले चोइसभत्तेण सो महरिसीणं / दसहिं सहस्सेहिं समं नेव्वाणमणुत्तरं पत्तो॥१७९९॥ नेव्वाणचियगआगिह जिणस्स इक्वागसेसगाणं तु। सकहाथूभजिणघरे जायगतेणाहितग्गित्ति // 1800 // *** -RROACHE