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________________ 米米米米米米米米%架出米肃杀出休中 राइ मुहपत्तिनी विधि. प्रथम खमा० दइ इरियावही पडिक्कमी एक लोगस्सनो काउस्सग्ग करी पारी प्रगट लोगस्म कहेवो. पछी खमा० दह इच्छा० संदि• भगवन् ! राइ मुहपत्ति पडिले हुं ? इच्छ, कही मुहपत्ति पडिलेहवी. पछी चे बांदणा देवा, पछी इच्छाकारण संदिसह भगवन् ! राइ भालोवू ? इच्छं भालोएमि जो मे राइनो अइमारो ए पाठ संपूर्ण कहेवो. पछी सव्वस्सवि राइग्रं कहाँने जो पदस्थ मुनि होय तो बौदखाबे देवा अने अपदस्थ होय तो खमा० दइ इच्छकार सुहराइनो पाठ कहीने अब्भु. हिमो खामवो. पछी वांदण्यांबे देवा. खमा० दइ प्रविधि माशातना मिच्छामि दुक्कडं मांगो. सांजनी क्रियानी विधि. प्रथम खमा० दइ बहुपडिपुनापोरिस कही खमा० दइ इरियावहि पडिकमी, एक लोगस्सनो काउस्सग्ग करी पारी प्रगट लोगस्स कहेवो. पछी खमा० दइ इच्छा० संदि. भगवन् ! गमणागमणे आलोउं ? इच्छं, कही नीचे मुजब पाठ बोले. इरियासमिति, भाषासमिति, एपणासमिति, पादानभंडमचनिरकेवणासमिति, पारिष्ठापनिकासमिति, मनगुप्ति, वचनगुप्ति. कायगुप्ति ए अष्टप्रवचनमाता सामायिक पोसह लीधे रुडी पेरे पाळथा नहि. जे काइ खंडन विराधना हुइ होय ते सवि हुं मन, वचन, कायाए करी मिच्छामि दुक्कडं. पछी खमा० दइ इच्छा० संदिसह भगवन् ! पडिलेहण करूं ? इच्छं १ पौषधमा वडीनीति, लघुनीति करी तथा काजो परठुवी इरियावही करी गमणागमणे अवश्य आलोक्वा- (प्राचीन समाचारी) %术出器黑米杀出味的米米米米米%术出
SR No.600317
Book TitleJain Vrat Vidhi Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabdhisuri
PublisherJain Sangh Madras
Publication Year1938
Total Pages96
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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