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भी जैन व्रत विधि.
॥१९॥
बार मासे काउस्सग करवानो विधि चैत्र शुदि ११-१२-१३ अथवा १२-१३-१४ अथवा १३-१४-१५ ए त्रण दिवसोए दररोज दैवसिक प्रतिक्रमण कर्या पछी आ काउस्सग्ग करचो. प्रथम खमा० दइ इच्छा. संदिसह भगवन् ! अचित्तरजमोहडावणत्यं काउस्सग्ग करुं? इच्छं अचित्तरजोहडावीणत्थं करेमि काउस्सग्गं, प्रमस्थ कही चार लोगस्सनो काउस्सग्ग सागरवरगंमीरा सुधी करवो. पारी प्रगट लोगस्स कहेवो.
लोचविधि. प्रथम इरियावही करी चंदेसु निम्मलयरा सुधी एक लोगस्सनो काउस्सग्ग करी पारी प्रगट लोगस्स कहेनो. पछी खमा० दइ इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! मुहपत्ति पडिले हुँगुरु कहे पडिलेह. इच्छं कही महपत्ति पडिलेहवी. पछी खमा० दइ इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! लोयं संदिसाहु. गुरु कहे संदिसावेह. बीजुं खमा० दइ इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! लोयं करेमि. गुरु कहे करेह. उपरनो आदेश मळ्या पछी जो ऊंचे भासने वेसवार्नु होय तो खमासमण दह नीचेना आदेश मांगवा. इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! उच्चासणं संदिसाहु, गुरु कहे संदिसावेह. पछी चोधुं खमा० दइ इच्छा० संदि. भगवन् । उच्चासणं ठामि. गुरु कहे ठावेह. पछी खमा० दइ लोच करनार वडील होय तो इच्छकारी भगवन् ! लोयं करेह, भने नाना हाय तो इच्छकारी लोयं करेह एम कहेवू. पछी लोच करावको.