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________________ 4 - दशपाङ्ग-प्रश्नव्याकरण सूत्र-प्रथम आश्रवद्वार सुरत्त कणवीरगहिय विमुक्कलकंटे गुणवझ दूतआविद्धमल्लदामा मरणभयुप्पण्ण सेयमायतणे उतुप्पियं किलिणगत्ता चुण्णगुंडिय सरीर रयरेणु भरियकेसा, कुसंभगो खिण्णमुद्दया छिण्णजीवियासा घुणंता बझपाणपीया, तिलतिलंचेव छिज्जमाणा सरीरविकत्त लोहियलित्ता, कागणिमंसाणि खावियंता, पावाखरकरसतेहिं तालिज्जमाण देहा, वातिकनरनारिसंपरिवुडा, पिच्छिजंताय नगरजणेण वझनेवत्रिया, पणिजंति णगरमझेण, किवणा, कलुणा, अत्ताणा, असरणा, अणाहा, अबंधवा, बंधुविप्पहीणा, बने हुवे उनको मंगते हुवे भी पानी नहीं मीलता है, जो कोई पानी पीलानेको आवे तो उनको राजपुरुष मना करते हैं, वहां कठोर पडह बजता हुवा, पाश में ग्रहा हुवा, मजबूत पकडा हुवा, घातिक के योग्य वस्त्र पहिनाया हुवा. . रक्त वर्ण से रंगा हुवा, कणेर के पुष्प की माला पहनाया हुवा, वध योग्य बनाया हुवा, विधिपूर्वक माला पहिनाया हुवा, मृत्यु भय से स्वेदका विस्तारवाला जैसे तेल लगा हुवा शरीरवाला हो चूर्ण से खरडा हुवा. धूलि से भरे हुचे मस्तक के बालवाला, कसुंभ से भरे हुवे यक्षीक के बालवाला, जीवितव्य की आशा रहित घूमता हुवा; प्रिय प्राणों को बचाने की इच्छावाला तिल 2 जितने टुकडे कराता हुवा, विरूप शरीर वाला, रुधिर से आलिप्त कंगणी जैसे मांस के टुकडे खाता हुवा. पापी मेंकडों चाबूक के प्रहार से। पराया हुवा, नर नारियों से परवरा हुवा, नगरजन को देखाते नगर में कीराते हुरे वध स्थान लेजाता 48 अदत्त नामक तृतीय अध्ययन 48 Mg 44.
SR No.600304
Book TitlePrashna Vyakaran Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahadur Lala Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Jouhari
Publication Year
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_prashnavyakaran
File Size25 MB
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