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________________ - अणभंजगा, भग्गसंधिया; रायदुटुकारिय; विसय णिन्छुढ; लोकवज्झा, उद्दहका, गामघायग, पुरघायग, पंथघायग, आलिवग, तित्थमेया, लहुहत्थसपउत्ता; जूयकरा, खंडकरक्खत्थी, चोर, पुरसा चौरसंधिच्छेयगाय, गी?भेदगा, परधणहरण, लोमावहारं, अक्खेवी, हडकारग, निम्मदग गढचोर, गोचोर,अस्सचोरक, दासिचाराय, एकचोराय, उक्कडग, सपदायक, उच्छिपक, सत्थघायक, विलकोलीकारकाया, निग्गह विलुपका, 418 अदत्त नामक 414 दशमान प्रश्नव्याकरण मूत्र-प्रयम-आश्रद्वार बनाहुआ गुप्तरहकर घान करने वाला, गुप्तरहकर ग्रामादि जलाने वाला, साधु साधी श्रावक और श्राविका में भद काल का धारक अर्थात कोई जान सके नहीं वैसे चोरी करनेवाला, जूमा खेलनेवाला. कोतवाल, मांड या दाणी, स्त्र की चोरी करनेवाला, परुष की चोरी करनेवाला, खात डालनेवाला, गठडी छोड वस्तु का हरन करनेवाला, दूसरे के धन का हरन करनेवाला, अन्य का माण घात करके धन लेनेवाला, धूर्त बनकर धन लेनेवाला, हठ करके चोरी करनेवाला, झरे को मारकर चोरी कग्रेवाला, गुप्तपने चोरी करनेवाला, अश्व के चोरी करनेगला, गाय की चोरी करनेवाला. दास की चोरी करनेवाला, अकेला ही चोरी करने वाला, चोरी को छिपानेवाला, चोर को महाय देनेवाला, साथियों की घात करनेवाला, विश्वास वचन बोलकर धन लेनेवाला, राजादिक के गृह से नीकलनेवाले को लूटनेवाला, और बहुत प्रकार की चोरी में है। अध्ययन |
SR No.600304
Book TitlePrashna Vyakaran Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahadur Lala Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Jouhari
Publication Year
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_prashnavyakaran
File Size25 MB
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