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________________ - . दशमङ्गप्रश्नव्याकरण सूत्र-प्रथम आश्रद्वार * अदत्त नामक मित्तजण, भेद विप्पीति कारगं, रागदोस बहुलं, पुणोयओपुर समर संगाम डमर 14 कलिकलह बेहकरणं, दुग्गति विणिवाय वड्डणं, भवपुणब्भवकर; चिरं परिचियं, अणुगयं, दुरंत तइयं अहम्मदारं // 1 // तस्सय नामाणि गोणाणि होति तीसं तंजहा-१ चोरिकं, 2 परहडं, 3 अदत्तं, 4 कुरिकडं.५ परलाभो, 6 अमंजमो, 7 परधणमिगिट्टी, 8 लोलिक्को, 9 तक्करतणंतिय,१० अवहारो ११हत्थलहुत्तणं, 12 / पाव कम्म करणं, 13 तेणिक्को, 14 हरणविप्पणासो, 15 आदियणा, 16 लुंपणा धणाणं, 17 अप्पच्चओ, 18. उवीलो, 19 अक्खवो, 2. क्खयो,२१ वाला, विपरीत कारण वाला, रागद्वेष की वृद्धि कराने वाला, बहुत लोगो की मृत्यु होवे वैसा संग्राम कराने वाला आडंबर बताने वाला, कोश. कराने वाला, पश्चाताप कराने वाला bia दुर्गति में डालकर परिभ्रमण कराने वाला, भवभ्रपण बढाने वाला, बहुत, काल से परिचित. बहुत काल से आचरण कराया हुवा, और दुःख रूप स्थान वाला है. // 1 // इस तीसरे अधर्म द्वार के गुगनिष्पन्न तीस नाम कहे हैं. तद्यथा-१ चोरी 2 परवस्तुहरण 3 अदत्त, 4 क्रूरकर्म, 5 परवस्तु का लोभी 2.16 असंयम, 7 परधन में गृद्धि, 8 परधनकालोलुपी. 9 तस्कर, 10 अपहरण 11 लघुहस्त 12 पापकर्म का कारण 13 सन 14 हरण धनका नाश 15 किसीकी वस्तुं ग्रहण करना 16 धनउफेंक डालना 17 अप्रती 'अध्ययन 484 41
SR No.600304
Book TitlePrashna Vyakaran Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahadur Lala Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Jouhari
Publication Year
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_prashnavyakaran
File Size25 MB
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