________________ साहति लुद्धगाणं गयकुल बानर कुलेय साहिति पासियाणं, सुकवर हिण मयणसाल कोइल हंसकुले सारसेय साहति पोसगाणं, वहवंधण जायणंच साहति गोमि. पाणं धण धण्ण गवेलएय साहिति तकराणं गामे नगरे पट्टणेय साहिति चारियाणं, . पारघाइय पंथघाइयाणतो साहति गंठीभेदाणं, कयंचचोरियं जगरगुत्तियाणं साहिति, लंछण पिल्लंछण धम्मण दुइण पोसण वणण दुमण वाहणादियाई साहति बहुत गोमियाणं, पाउ माणिसिल्यप्पवाल रयणागरेय साहति, आगरीणं, पुष्फविहंच फलविहंच साहिति, मालियाणं अग्घमहुकोसएय साहति वणचराणं जताई विसाई दर्वीकर और मातुलिंग सर्प मारने का गारूडी को कहे, गोह, सेडाह, सहल, काकीडा मारने का बोधक को कहे, हाथीकुल बानरकुल वगैरह मारने का पाश डालने वाले को कहे. तोते, मयूर, मेना, सालंकी, काकिन हंस. बकुल, सारस. वगैरह मारने का पक्षी बधक (पाराधी ) को कहे. चोर को धन पशु आदि की चौरी करने का कहे, चारक ( लूगरे ) अनको ग्राम नगर पूर पाटग लुटने का कहे, भेदक जनको पथिक लूटने का कहे, जगर रक्षक को चपी करने वाला जानकर बतावे. लंछन कर्णादि काटने का और निम्छन / 12}पुरुष चिन्ह छेदने का कहे. बछडे के पोषक को गाय दोहने का कहे, गांदि रखाने क, बंधन में बांधने ", गाड में जोतने का, इत्याद कहे. लोहा, ताम्बा वगैरह धातू मनःशिला, मवाल, कर्केतनादि रत्न की, दशमा प्रश्नाकरण सुष-प्रथम-आश्रवद्वार + मृषा नामक द्वितीय अध्ययन 480