________________ सूत्र 4. दशमाङ्ग-प्रश्नव्याकरण सूत्र-प्रथम-आश्रद्वार खुदो अणारिओ णिग्घिणो निस्संसो महब्भउ बीहणओ तासणओ अणज्जो उव्वेवणउय निरवयक्खो गिद्धम्मो णिणिवासो णिक्कलुणो निरयवासगमणणिधणो मोहमहन्भय पवटओ मरणवेमणसो // पढमं अधम्मदारं सम्मत्तं तिमि // इति पढममज्झयणं // 1 // () () विवरण करते हैं. यह प्राणातिपात चण्ड हैं, रौद्र है, क्षुद्र है, अनार्य का कर्तव्य हैं, दुगंछा रहित है, निःसंशय है. महाभयानक है, भयाभप उत्पन्न करने वाला, त्रास का स्थान, उद्वेग का स्थान, निरपेक्ष, अघर्ष, पिपासा रहित, निर्दयता, नरकावाम का स्थान, निर्धन, मोहस्थान, महाभय का प्रवर्तक और परणा का स्थान है. यह प्रथम अधर्म द्वार हुवा. यह प्रथम अधर्मद्वार संपूर्ण हुवा. यह प्रथम अध्ययन संपूर्ण हुवा।।२। / 444P हिसा नायक प्रथम अध्यान + +