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________________ . हिय पेरस पसुनिमित्तं उसही हार मादिएहि, उक्खणण उक्छण पयण के टण पसिण पिट्टण भजण गालण अमोडण सडण फुडण भंजण छेयण तच्छण विलंचण पत्तझाडणा अग्गिडहणाइयाइं एवं ते भव परंपरा दुक्खसमणुबद्धा अडंति ससारे बोहणकरे // जीवा पाणाइवाय निरता अणंतकालं // 21 // जेविय इह माणुसत्तणं आगया कहिंविनरगाओ उवटिया अधण्णा तेविय दीसंति पायसोविक्कय विगलरूबा खुजा वडब्भय वामणाय बहिरा काणा कुंटाय पंगुला विउलायं, . मयाय मम्मणाय, अंधिल्लागा, एगचक्खु विणिहियं संपल्लय बाहिरोग पीलिय अप्पाउ सत्थवज्झाबाला कुलक्खणु किण्णदेह दुव्वल कुसंघयणं लिये औषध आहार बनाने को अग्नि का आरंभकरना, उखाडना, छाली निकालना, पचाना, कूटना, पीसना, पीटना, तोडना, गलाना, मोडना, सडाना, फोडना, भंग करना, छेदना, तराछना, लूंबना, पत्र झाडना. 24 जलाना इत्यादि भवों की पाम्पग में दुःखानुबंध से परिभ्रमण करते हैं. या प्राणातिपात करनेवाले जीव एकेन्द्रियादि में अनंत काल रहते हैं // 21 // कदाचित् मनुष्य में उत्पन्न होवे तो वह नरक में से नीकला हुवा अधन्य दीखाइ देता है. वह विकल पर्याय वाला, विकलरूप वाला, कूबड़ा, वामन, बहिरा, काणा, 1 टूटा, पंगुङ', गूंगा, बोबडा, अंधा, चीपडा, व्याधि वाला, रुंडमुंड, अल्प आयुष्य वाला, शस्त्र से वध 43 दशमाङ्ग प्रश्नव्याकरण सूत्र मरम-श्रवद्वार 480 4288+ हिना नामक प्रथप अध्ययन
SR No.600304
Book TitlePrashna Vyakaran Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahadur Lala Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Jouhari
Publication Year
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_prashnavyakaran
File Size25 MB
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