________________ भलियं, पीढस्सव फलगवस्सवकएण लुडो लोभो भणिज अलियं, सेज्जाएव संथारकस्स- * वकएण लुडोलोभो भणिज अलियं,बत्थस्सव पत्तस्सव कएणलुडो लोभो भणेज्ज अलियं, कंबलस्सव पायपुसणसव कारणे लुधो लोभो भणेज अलियं, सीसस्सव सिरिसणीए कएणलुधो लोभो भणिज अलियं,अण्णेसुय एवमादिसु बहु कारण सतेसु लुडो लोभो भणिज अलियं, तम्हा लोभो नसेवियन्वो, एवं मुतीए भाविभो भवइ अंतरप्पा संजय कर चरण नयण वयणो सूरो सचजवसंपण्णो // 1 // चउत्थं नभीइयन्वं भूमिका के लाभ के लिये झूठ बोलता है, ऋदि परिवार और सुख के लिये झूठ बोलता है आहार पानी का लोभी बना झूठ बोलता है, पीठ, फलक के लोभी बना सा बोलता है, शैय्या संथाEस में लोभी बना हुवा यूठ बोलता है, बस पात्र में लोभी बना हुवा झूठ बास्ता है, कंबल रजोहरण में / लोभी पना हुवा झूठ बोलता है, शिष्य शिष्या का कौमी बना झूठ बोलता है, अन्य अनेक वस्तु के कारन / झूठ बोलता है, इस लिये लोभ का सेवन करना नहीं, बोम कषाय के उदय होने पर वैराग्य भाव भाग्न करे. इसारा मुक्ति भाव निर्लोभता में भावित अंतरात्मा संयम कर चरण, नयन और वचन में शूरवीर बन 13 सत्य ऋजुता को प्राप्त होता है // 11 // चौथी भावना-भप भीत बनना नही क्यों कि भय से क्षुम्भ: मुनि श्री भयोजक ऋपिनी * मकाचक-राजाबहादुरलाळा सुखदवसहायजी बाळापसाढणी* पवादक-बाडमचारी