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________________ 48. देशमाङ्ग-प्रश्नव्याकरण सूत्र-प्रथम आश्रवद्वार णिकर विमल पडिपुण्ण सोमवयणा, छत्तूणय उत्तिमंगा, अकविल सुमिनिद्ध दीह63 सिरया, छत्त, झय, जूव, थूभ, दामिणि, कमंडलु, कलस, वावि, पडाग, सोत्थिय, जब, मच्छ, कुम्म, रथेवर, मकरज्झय, अंक, थाल, अंकुस, अट्ठावय, सुपइटु, अमर, सिरियाभिसेया, तोरण, मेयणि, उदधिवर, पवर भवणं, गिरिवर, वरायंस, सुललितगय वसभ, सीह, चमर, पसत्य बत्तीस लक्खणधरीओ, हंससरिसगईओ, कोइल महुय गिराओ, कंता सव्वस्स, अणुमयाओ, ववगय वलिपलियबंग, दुबग्णवाहि, दोभग्ग सोय मुक्काओ उच्चत्तेणय सुगंधी सतेज मस्तक के केश हैं. 1 छत्र, 2 ध्वजा, 3 झूसर, 4 स्थूभ, 5 दामिनी, 6 कमंडल, 7 कलश 8 वावडी, 9 पताका, 10 स्वस्तिक, 11 यव, 12 मच्छ, 13 कच्छ, 14 प्रधान रथ; 15 मकरध्वज कामदेव 16 अंकरत्न 17 थाल 18 अंकुश 19 अष्टापद-बाजोट 20 सुप्रतिष्ट 21 देवता 22 अभिषेक.. युक्त लक्ष्मी 23 तोरन 24 पृथ्वी 25 प्रधान समुद्र 26 प्रधान भवन 27 प्रधान पर्वत 28 प्रधान अरसा 29 लीलावत हाथी 3. वृषमे 31 सिंह और 32 चमर. ये प्रशस्त बत्तीस लक्षण उन के है. हंस मगन गति है. को कला सपान मधुर स्वर है. सषको पियकारी, हिनकारी, अंगकी कुचेष्टा' अब्रह्मचर्य नामक चतुर्य, अध्ययन 4 -
SR No.600304
Book TitlePrashna Vyakaran Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahadur Lala Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Jouhari
Publication Year
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_prashnavyakaran
File Size25 MB
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