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________________ - Po . 1 दशमङ्ग-प्रश्नव्याकरण सूत्र-प्रथम-आश्रद्वार सनि सोमाकारं कंतापियदसणा, अमससिणा पयंडदंडप्पयार, गंभीर दरिसणिजा, नालज्झउवद्ध, गरुलकेउ, बलवगं गजंत दरिय दप्पिय; मुट्ठिय चाणूर चूरगा, रिट्ठवसभघाति, केसरी मुहविफाडगा, दरिय नागदप्पमाहाणा, जमलुज्जुण भंजगा, महासउणफूतणरिपू कंसमउड मोडगा, जरासंधमाणमहणा, तेहिय अविरल सममहियचंद, मंडल समप्पभेहि सूरमिरीयकवयविणिमुयंतेहि, सपडिदंडेहिं आय वत्ते हैं धरियोहिं विरायंता, ताहिय पवरगिरि कुहर विहरण -समुट्ठियाहिं, निरुवहय कीर्तन, प्रसिद्ध बली, अति बली, अपने शत्रुओं को जीतनेवाले, हजारों वैरियों के मान का मर्दन करने में वाले, दया के भंडार, गुणियों के गुण जाननेवाले, धीरवीर, रौद्र स्वभाव रहित, मित-14 प्रमाण युक्त, मधुर प्रलापी, मधुर बोलनेवारे, सेवकों के वत्सल, शरणागत को आधारभूत, दस्तरख दि उत्तय लक्षण, तिलमशादि उत्तम व्यंजनवाले, सत के 108 अंगल प्रमाण शरीरवाले, सुंदर गोपांग वाले, सब सुंदर अायव वाले, चंद्र समान मौम्याकार, कंतकारी, प्रियकारी, दर्शनीय अ.लस्य रहित, अपराधि को कठिन दंड देने वाले, गंभीर हृदय व ले, गरुड के चिन्हवाली ताडवृक्ष समान ऊंपी है जा वाले, या प्रबल से गर्जना करते कि मेरा शवू कौन है यों अहंकारियों में अहंकारी, मौष्टिकमल्ल.21 "चाणुलु मल्लों को विध्वंस करने वाले, मलो का चूरन करने वाले, अष्टि वृषभं को भग ने हारे, के. 4 अब्रह्मचर्य नापक चतुर्थ अध्ययन ++ -
SR No.600304
Book TitlePrashna Vyakaran Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahadur Lala Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Jouhari
Publication Year
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_prashnavyakaran
File Size25 MB
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