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१ बोले
सिर धुणे । लेवे ते मुखधी वेण ॥ ५ ॥ ● ॥ ढाल जी ॥ धनरारे लोभी वाणीया ॥ | यह ॥ तिण समय राणी प्रियवती । सज सिणगट जिहां आइ जी । पतीने देख्या वीचारमें। चुप उभी तिहां रहाइ जी ॥ १ ॥ काभी न माने सिखामण | आं ॥ कामी नर अन्ध होवे जी ॥ नी शरमी धारण करे। उंच्च नीच नहीं जोवे जी ॥ का ॥ २ ॥ कर जोडी पूछे तदा । कांइ छे श्वामी विचारो जी || नृप चमको जोइ सन्मुखे । इण विध करे उच्चारो जी ॥ कामी ॥ ३ ॥ अहो सुन्दर भले आवया । संतोषा कने बेठाइ जी || प्रचाइ कहे तेहने । भुवन सुन्दरी मुज चहाइ जी ॥ कामी ॥ ४ ॥ प्रियवती वचन सुणी । मनमां रीस भराणी जी || पति समजावण कारणे । बोले इण परे वाणी जी ॥ कामी ॥ ५ ॥ मधुर वयणे कहे श्वामी जी । एलो कामन कीजे जी ॥ यशः संप. त कुल बल बधे । तैसी चाल से रोजे जी ॥ कामी || ६ | उत्तम कुल का होय के । या बुद्धि किम आइ जी || लघु बन्धव तेनुज समो । बहू पुत्रीसी दरसाइ. जी ॥ कामी ॥ ७ ॥ ऐसा कर्म से आपको । राज पाट किम रहसी जी ॥ लोक सहू फिट कारसी । | सज्जन ओलंभो देसी जी ॥ कामी ॥ ८ ॥ ● ॥ सवैया ॥ कहे घरकी नार । सुणो हो भरतार । मत होवो जार । यार नारी के ॥ रुठे परिवार । धरे सज्जन खार । अरी न्हा
॥