________________
॥ श्री जिनेश्वरायनमः ॥
॥ श्री भुवन सुन्दरी चरित्र ॥
॥ दुहा ॥ प्रणमुपद परमेश्वरके । रक्षा करण जगदीश || यशः जिनका विख्यात जग । सकल सुरासुर इश ॥ १ ॥ अरिहंत सिद्ध आचार्य जी । उपाध्याय अणगार ॥ विघन हरण मंगल करण | लुली करूं नमस्कार ॥२॥ गुरु चरण पद्मा करु | मधुकर जिम | मुज मन ॥ निश दिवस लोभा रह्यो । ज्ञान रसे लुब्ध तन ॥ ३ ॥ वीतराग वाणी सुरी || सरश्वती भुज माय ॥ तनुज को सुबुद्ध दे । कार्य चिन्तित थाय ॥ ४ ॥ सहू चरण को सरण ले । धरी नन हुलास ॥ सील तणी रचनारच्यूं । भुवन सुन्दरी रास ॥५॥ संक ट समय कायम रही । करी केइ दाव उपाय ॥ सील रत्न शुद्ध राखीयो । महीमा जग
१ कमल
२ भ्रमर