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________________ ॥ ५॥ ॥ ढाल १ सतनी ।। श्री दिवार मीही प्रग सिर नासी तुम भणी In यह ॥ य प्रेम आदि आणी हे कइ पूछे नायक दया । अर्थ राजा को किस पर १२ । नपक कहे से करने हो विमाने पर कोई ना २ जाती मातोकार ॥ २५ ॥१॥ को देश हो कोई अ सहधी मिरे । ते लेजा। या तुम साथ ॥छाल क्षन पूछी जोहो वह पाएमा । बली अश्व ए ओहाय ॥राय॥२॥ उस अश्व इहो कोई... बर्ग करी । बहू भू बज साज सजाय गायक मनीले काम हो माझको यो हॉस्थल तेहका र माल दीनो सह वाय॥रायः॥३॥ शिरले त भाइ होलाइ चालमा नायक सडू नये ते तुरंग लोनो। लार ।। स्थल परत आया हो मोहबाया लिलण अर्थ राज ने चाल्या करी अश्व । की गरदीमाच ॥ इस माल लाला हो तिहां आया अर्थ राजा तड़ा। कांड नायक अश्व देखाय ॥राय ॥ ५॥ ऊमा पासे आइ हो नसाइ सिर नायक तदा । काइ लुली का शे प्रणाम ॥ साल ककी दावी हो वली गुण कियो औषधी तगो। तुरी सोपण लाग्यो तास ॥ ॥ ६॥ अबराय कहे माइहो नहीं चाहाई महारे एहानी । इहां सलम Viगधा
SR No.600300
Book TitleJindas Suguni Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherNavalmalji Surajmalji Dhoka
Publication Year1911
Total Pages122
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size12 MB
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