SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 43
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ साहस धारी । आया चारूं के पास ॥ आपस मांहे फूट पडावा । कर जोडी कहे तास ॥ भाइ० ॥ ८॥ धन्य भाग आज मुज खेत का । पधार्या राज कुँवार ॥ प्रधान पूत्र - अने परोहित जी। छो महारा सिरदार ॥ भाइ० ॥९॥ पण बाण्यो किम आयो इहां यह । चोरी करवा काम ॥ डोडा दूणा लेइ हमथी । घरमें मेल्या दाम ॥ भाइ० ॥ १०॥ तीनो कहे छे भलो पटेल ए। करो अपणो सत्कार ॥ न्याय कहे वाण्यो किम खावे । फोकट इणरो माल ॥ भाइ० ॥ ११ ॥ तीनो छिटकायो वाण्याने । कृषाण मारी मार ॥| मालाने एक स्थंभे तेहने । बान्धो द्रढ तेवार ॥ भाइ०॥ १२॥ फिर कर जोडी कहे राज कुंवरसे ।आप छो पृथवी नाथ ॥ आप तणो ए खेत हे सघलो । प्रधान आप के साथ ॥ भाइ० ॥ १३ ॥ पण भटजी तो मांगण हारा ॥ लेगया घणोज माल । इणने आप साथे । किम लाया । भली न इणरी चाल ॥ भाइ० ॥ १४ ॥ भोला राय सचीव पूत तब । हर्षी कहे सत्य वात ॥ आपण पे खुसी खेत को मालक । परोहित ने छिटकात ॥ भाइ० ॥ १५॥ कृषी विप्रने बन्ध्यो स्थंभे । ज्यों छूटण नहीं पाय ॥ फिर कर जोडी कहें कुंवरसे | आप श्वामी महा राय ॥ भाइ० ॥ १६ ॥ सचीव जी तेसील गामकी । दमडा | दिया चुकाय ॥ मुफत माल खावा किम आया । लीनो तस कर सहाय भाइ०॥१७॥ १ हाथ
SR No.600300
Book TitleJindas Suguni Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherNavalmalji Surajmalji Dhoka
Publication Year1911
Total Pages122
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy