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वाग मझार ॥ गरुड निकाली । तसलियो सुथार ॥ देखो ॥ ४॥ हुइ सवार तक फेरी में कल ॥ सग गग गगन में गयो ते चल ॥ देखो ॥५॥ रात्री पडया थी आया कुँवरीके मेहल ॥ सहेली रुदंती देखी। पूछे खेल ॥ देखो ॥६॥ तिणरे वीतक सहू। दियो दरसाय ॥ सुणीने पाछा फिर्या बिलखाय ॥ देखो ॥ ७ ॥ होण हार ते तो टाली । टले नाय । प्रकाश करी जोइ । खाडी में जाय ॥ देखो ॥८॥ पतो नहीं | लाग्यो पाछा। वाहिर आय ॥ श्रीपुर भणी चाल्या । मन समजाय ॥ देखो ॥९॥
पद्म खाती तणे । आया घेर ॥ उतरिया मदन जी। देखे चउ फेर ॥ देखो॥१०॥ २२ खाती खातणने । ते लागा पांय । दंपती देखी तस । घणा हर्षाय ॥ देखो ॥११॥
आवो २ प्यारा पूत । लीनो उठाय ॥ उरथी चांपी घणो। प्रेम जणाय ॥ देखो ॥१२॥ दिन घणा किहां तुम । लगाया भ्रात ॥ तुम नहीं सांजे आया । हम घबरात ॥ देखो। १३ ॥ रखे गरुड थी पडे । झोकज खाय ॥ आलंभा दिया घणां ॥कारीगरजी तांय ॥ देखो ॥ १४ ॥ लाय लागी पेट माही । दुख्यो घणो मन ॥ रंग संग छूटयो । नवीर भायो अन्न ॥ देखो ॥१५॥ आज मोटा भाग । पाया तुज दर्शन ॥ हृदय कमल हुयो। पेखी प्रसन्न ॥ देखो ॥ १६ ॥ मदनजी कहे। मेहंदपुर गयो मेय ॥ सुखमाहे रह्यो तिहां । लक्ष्मीदत्त गेह ।। देखो ॥१७॥राजमाहें जातां । मुज लेगया संग ॥ राजकन्या