SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 47
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ में पकडी लावो तेहने ॥ जेणे कियो अन्याय ॥२॥ कोटवाल प्रणाम कर ॥ आयो में अ. निज ठिकाण ॥ सगला मार्ग रोकिया। भागे नहीं कोई जाण ॥ ३ ॥ सुभट गुप्त पठा #विया ॥ करो चौकस पुरमांय ॥ राते परण्या नर भणी । दो मुज कर झट लाय ॥ ४ ॥ | डंडेरो पिटाइयो । प्रगट करी इनाम ॥ जो हम चौर छिपावसी । तस करस्या बदनाम ॥ ५॥ ढाल १५ मी ॥ तावडा धीमोसो पडजे ॥ यह ॥ कर्मगति टाली नहीं जाइ हो ॥ R कर्म० ॥ आयु पुन्य प्रबल जिनोंका ॥ बाल बांको न थाइ ॥ ७॥ मदन रयण पाछली उडीने । आयो वाग माही ॥ वेणुदेवनी कला संकोची। बड कोचर ठाइ ॥ कर्म ॥१॥ | दिन उगता सेठ तणे घर आया चलाइ ॥ मदन वदन शाहजी अवलोकी । आश्चर्य अती | पाइ ॥ कर्म ॥२॥ देवी पूजा विध अनोखी। तुज अंग देखाइ ॥ परण्यो दीसे कोइ | सुन्दरी । मदन मुलकाइ ॥ कर्म ॥ ३ ॥ उत्तर कांइ न देतां मदनजी। कामे लगाइ ॥ ॐतेतले तो डूंडी पिटाती । सेठ सदन आइ ॥ कर्म ।। ४ ॥ कान लगाइ सुण सेठ । जे रात | परण्याइ ॥ ते हाजर होवो राज कचेरी ॥ छिप्या दंड थाइ ॥ कर्म ॥५॥ सुणी शाह | | घबराया तत्क्षण । मदनने बोलाइ ॥ सज थावो जल्दी तुम जावा । नृपत तेडाइ ॥ कर्म ॥ ६॥ कहे मदन घबरासो ना तुम । वे फिकरे रहाइ ॥ आल नहीं आवा दूं जरा भर । मुज थी तुम ताइ । कर्म ॥ ७ ॥ नहीं करीमें चौरी जारी । तिणरो डर आइ । राजकन्या मैं
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy