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________________ खंड १ कर सोले सिणगार ॥ इच्छित नर वरवा भणी । बैठी गौख मझार ॥ ४ ॥ सहेली साथे तिहां । जोवती पंथा चार ॥ जे जोगो आह मिले।तस आगे अधिकार ॥५॥ ढाल११ मी। मातूं जाय कहिये मांय ॥ यह ॥ तिण वेला राजमांय । वस्त जोहए ॥ भट मेल्यो श्रेष्टी| घरेए ॥ नृपत जी मंगाए । ते ले चालिये ॥ सुणी हर्ष सेठजी धरे ए॥१॥ सज पोते सिणमें गार । राज, सभा जिस्यो ॥ मदनने पण सजावियो ए ॥ नौकरने सिर माला । देइवहु | परे॥ ठाट बहु धराबियो ए ॥ २॥ चाल्या मध्य बजार।राय भवन तले ॥ मदनजी लारे & संचरे ए ॥ रायकन्या तिण वार । कंतने कारणे ॥ देखती मार्गे जे फिरे ए ॥३॥ जोड K काम कुँवार । यौबन मद भर्यो ॥ सुन्दर सौम्यता मन वसी ए ॥ ए पर देशी कोय । राय | ॐवर अछे ॥ फिर न मिले जोडी इसी ए ॥ ४ ॥ लेख लिखी तत्काल । ममनी बातडी ॥5 | थोडामें प्रतिी घणी ए ॥ देवे सहेली हाथ । हाथे दीजिये । शीघ्र जाइ कुँवर भणी ए॥५॥ तेतले आया नजीक । मदन मोहन तिहां ॥ सहजे ऊंचो जोहयो ए॥ मार्या नेणना बाण । रायनी कन्याका ॥ सेन करी ऊभो रह्योए ॥ ६॥ समजो चतुर सुजाण । कहे तब सेठने ॥ आप आगे पधारिये जी ॥ मुजने कारण एथ । हमणा नीवेडने ॥ शीघ्र आवू अवधारिये | | जी ॥७॥ लघुनीत करतो जाण सेठ आगे चल्या ॥ दवी कुँवर ऊभा रह्या ए॥ सहेली दौडी आय । पत्र ते करदियो । बांची भेद मदन लह्यो ए॥८॥ कहे दासीने तेह । जाइने की
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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