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________________ १ पक्षियों में रहे पदम घरे ॥ होसु ॥ रहे || बुद्धि जोग गृही काष्ट । केइक वस्तु घडे ॥ होसु ॥ इ ॥ | देखी हर्षे सुतार | अहो बुद्ध सागरु | होसु ॥ अहो || थोडा में सख्यिो सर्व । हम काम कीनो सरु | हो | हम ॥ ८ ॥ जाणवा तुज प्रतीत । मैं काम कराइ हो । होसु ॥ ॥ छे देव सहाय । करेते चावियो || होसु ॥ करे || छोडीने सब कर्म । धर्म अब कीजिये ॥ होसु ॥ धर्म ॥ करो सद्गुरुकी भक्ती । अर्हत स्मरीजिये ॥ होसु ॥ ९ ॥ ए थइ दशमी ढाल । पुण्यवंत पग २ सुखी || होसु || पुण्य ॥ मदन तणी परे जोवो | कहे अमोलख ऋषि ॥ | होसु ॥ कहे || रसीलो मदन चरित्र । आगे भव्य सांभलो || होसु ॥ आगे ॥ कारणथी पके । काज । न रखिये आमलो ॥ हो ॥ सु ॥ १० ॥ दोहा ॥| एक दिन मोटो काष्ट ले । पद्म मदन बोलाय || तूं कहे सो इण काष्ट की। देऊं वस्तु बणाय ॥ १ ॥ मदन कहे म्हारे मने । गगन उडनरी आय ॥ शक्ती होवे तो करो । धारूं जहां ले जाय ॥ २ ॥ पद्म तदा नीपाइयो । | गरुड खंग शिरदार ॥ कला रखी तिणरे विषे । उडे जे इच्छा चार ॥ ३ ॥ मदन कृष्ण का | नंदना । थारो नाम मदन | कृष्ण वाहन ए गरुड छे । कर तूं तेहवी चमन ||४|| कला सह देखाइ तस । मदनजी हष्यों अपार || अब म्हारा वाहया हुसी । भलो कियो उपकार ||५|| ढाल १० मी ॥ कुँवरां साधू तणो आचार ॥ यह० ॥ देखो साहसवंत कुँवार ॥ पुन्यवंत पग २ लहे सत्कार || आं ॥ मदन कहे हूं लावूं फिराइ । अब्बी अंतलिख मझार ॥ श 1
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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