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आगे चाल्यो कतारमेंरे । एकदेव सौचेतामरे ॥ आ॥१६॥ जात सुतारछे एहनीरे । किम | *पालीसके करारे ॥ परीक्षा करनी सही एहनीरे । तेलाग्यो तस लाररे । आ॥ १७ ॥ अन्य
मनुष्य देशना सुणीरे । करि शक्ते पञ्चखाण रे ॥ आया तिणही दिशा गयारे । मन माहें हर्ष आणरे ॥ आ ॥ १८ ॥ अवसर जोइ मुनिवरारे । कियो जनपदे विहाररे ॥ तारे भव्य उपदेश थीरे । करै आत्म उद्धाररे ॥ आ॥ १९ ॥ परोपकारी साधूजीरे । तिरे तारे में संसाररे ॥ हलुकर्मी मारग लगेरे । जैसे पद्म सुताररे आ ॥ २०। हिवे द्रढता त्याग कीरे । सुणियों सह नर नाररे ॥ ढाल छट्टी अमोलक कहेरे । आखडी होवे तैयार रे ॥ | २१ ॥ दोहा ॥ त्याग परीक्षा पद्मनी । करण लग्यो सुर लार ॥ सहु कष्ट हरिया किया । शक्तिये बन मझार ॥ १॥ पद्म फिरे पण नमिले । सुखी लकडी तास ॥ रीतोही आयो घरे । सांज समय उल्लास ॥२॥ नारी पूंछे नाथ जी । खाद्यन लाया आज ॥ तेकहे | सोगन मुज दिया । मिलिया गुरु महाराज ॥ ३॥ हरीयो काष्ट न काटवो । हरीये हरीको वास ॥ सूखो न मिल्यो लाकडो ॥ जोयो बन फिर खास ॥ ४ ॥ तेहथी रीतो आवियो । जास्युं फिर प्रभात ॥ भूखा सूता दंपति ॥ व्यतिक्रमी ते रात ॥५॥ ढाल ७ मी ॥इम | समकित मन स्थिर करो ॥ यह ॥ त्याग निभावे बैरागिया । कष्टे द्रढ रहाय ॥ ते निश्चय मुखिया हुवे । दोनों भव माय ॥ त्याग ॥ १॥ पद्म प्रभाते चलिया । कुहाडो लेइ हाथ ॥