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________________ इण सरखी दूजी नहीं ॥ सुणो ॥ सुणी ॥ कहो पहली थे तीन ॥ पछे महारी कहस्यं | सही ॥ सुणो ॥४॥ सुणो॥ श्रीधर कहे भ्रात । शरम आवे कहतां मनरही। सुणो ॥ सुणो ॥ दुःख में ऐसी बात । न करवी पण कहूं सही ॥ सुणो॥५॥ सुणो ॥ इण | | विरियारे मांय । मेहल होवे सत खंडियो ।। सुणो ॥ सुणो । रोशनी सुख सेज । भोग | जोग सहू मंडियो ।। सुणो॥ ६ ॥ सुणो ॥ कुंवरी राजारी होय । रूपे रुडी संग करूं रली । सुणो सुणी ॥ यह मुज हिवडां विचार । प्रभू कृपा ए जासी फली ॥ सुणो॥ ७॥ सुणो ॥ दूजो कहे ठीक बात । तुमने इण वेला आवइ ॥ सुणो ॥ सुणो ॥ म्हारा | मननी बात । तुमने देवू दरशावह ॥ सुणो॥ ८॥ सुणो॥ ऊची चन्द्रावली होय। घृत पूरित दधीने संगे॥ सुणो॥ सुणो । मशालाए झगमग । गरमा गरम खावू मनरंगे ॥ सुणो ॥ ९॥ सुणो स्त्रियादि परिवार । बैटूं गादी तकिया धरी ॥ सुणो ॥ सुणो॥ | ओडूं शाल दुशाल । यह होवे तो मन रली ॥ सुणो ॥ १०॥ सुणो । तीजो कहे अहो भ्रात । मुज मन यह नहीं चाहावइ ॥ सुणो॥ सुणो इच्छू मावित्रनी सेब से | जो जोग वाइ मिलावह ॥ सुणो ॥ ११ ॥ सुणो ॥ नित्य करूं मावित्र भक्ती । नर्म विछोणा पाथरी | सुणो ॥ सुणो । इच्छित भोजन वस्त्र । मांगे जोदेवू अर्पण करी । सुणो॥ १२॥ सुणो॥ मावित्र पावे सुख । तो फिर मुज दुःखको नहीं ॥ सुणो ॥ सुणो॥ कव
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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