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________________ । त्रिकालका जान ॥ १ ॥ बुलाइ रायपुत्रीने । वर्ष दिवसने माय ॥ वली वताया जमाइने । ते पण रहसी आय ॥ २ ॥ तिणही पुरमाही वसे । धन्ना नामे शाहा ॥ रंभा मंजरी तस | घरे । रहे करी निर्माह ॥ ३॥ तिण पण सुणी ए वारता । मनमें अति उमंगाय ॥ पूछू | | ब्रह्मज्ञानी भणी । देमुज पती बताय ॥ ४॥ अवसर ए उत्तम मिल्यो ॥ जोवू महारा | भाग ॥ इम चिंती अइ तुरत । धन्ना शाहा पग लाग ॥५॥ ॥ ढाल ९ मी ॥ | अम्बिकाके मन्दिरके मांय ॥ यह ॥ पूर्व पुण्य संयोग । अचिंत्यो जोग जमे ॥ ७॥ रंभा | मंजरी आइ धन्ना जी पासे । कर जोडी ने नमे ॥ अचिंत्यो ॥१॥ मैं सुण्यो तात जी XIज्ञानी यहां आया। यक्ष देवालय रमे ॥ अचिं॥२॥ त्रिकालकी बात प्रकाशे । मिलावे || | जे मनगमें ॥ अचिं ॥३॥ कृपा करी मुज तिहां ले चालो । ज्यों मुज चिंता शमे ॥ अ॥y #४॥ कहे सेठजी मैं पण सुणियां । चेतावा चायो तुमे ॥ आ ॥५॥ जरूर ते तुज पतिबतासी । जोइ एक पलकमें ॥ अ॥ ६ ॥ इम कही बाइ साथे लेह । आया यक्षालय ठामें | ॥ अ॥७॥ लुल २ वंद्या सन्मुख बैठा ॥ मदन जोइ प्रिय तमें ॥ अ ॥ ८॥ आश्चर्व | | अतिही मन में आया । या इहां किहां आइ खमें ॥ अ॥९॥ महंदपुरे मैं इणने परणी। में खाइमें प्राण जस गमे ॥ अ॥१०॥ ते किम जीवी किम इहां प्रगटी । हर्षित मनमें रमे ॥ || अ॥ ११॥ नियमित वक्ते होणो जो होवे । इम चिंती ध्यानने वमे ॥ ऊ ॥ १२॥ प्रणमी
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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