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________________ १राजा में किहां आइ ठाडी । देव गया झाडी । इम आश्चर्य देखाडी ॥ बुद्ध ॥ ५॥ भूधव मधुर र E वयणे बोलाह । इम किम करे गेली बाइरे ॥ भूली गइ हम ताइ । हम तुजने बुलाइ । रही किम घबराइ । भूल देव सघलाइ ॥ बुद्ध ॥ ६॥ मात तात निज पासे जोई। कुँवरी हर्षित होइजी ॥ झट पांयेलागी। अति मोहणी जागी। सब दुःख गया भागी । हुया सहू अनुरागी । वुद्ध ॥ ७॥ राय पूछे बाइ थी उमाइ । किहां रही इत्यादिन जाइजी ॥ तब कन्या चेताइ । देव हरी मुज तांइ । राखी सुख मांह । थो सत्यवंत सहाइ । बुद्ध ॥ ८॥ हूं सूती थी सुख सेज जाइ । फिर मुज खबर न कांहजी । इहां किणविध आइ । किम रही स्थंभ मांइ । सुण आश्चर्य पाइ । ब्रह्मचारी गुण गाइ । बुद्ध ॥९॥ सहू परिवार मिल्यो तिणवारे । वृत्या मंगलाचारेजी ॥ तब नृप प्रकासे चालो ब्रह्मचारीपासे पहला भेटां | हुल्लास । फिर सहू सुखथासे ॥ बुद्ध ॥ १०॥ तिमही मिलीने सहूजन आया । अति उमंगे | भरायाजी ॥ राय कुँवरी तांइ । शीघ्र आगे लाइ । जोगी पांये लगाइ । उपकार दरसाइ ॥ | बुद्ध ॥ ११ ॥ पाय लागता सुन्दरी जोवे । आश्चर्य अति मन होवेजी॥ ये किस्या ब्रह्मचारी | | मुज कंत समारी। भला जोगी बण्यारी । वहवा कळाधारी । बुद्ध ॥१२॥ चुप चाप IR M बैठी ऋषि पासे । क्षण २ जोवे हुल्लासे जी॥राय करी प्रणामो । किया घणा गुण ग्रामो या बाइ आइ श्वामो । आप कृपा सुख पाम्यो । बुद्ध ॥ १३ ॥ ब्रह्मचारी उतर नहीं देवे ६
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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