SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 221
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ म. श्रे. |पडाव करी तिण ठाया जी ॥ म ॥ २२ ॥ आगल युक्ती करे अनोखी । ते सुण जो चित में खण्ड | लाह जी । छटा खंडकी ढाल पंचमी । ऋषि अमोलख गाइ जी ॥ म ॥ २३ ॥ 8 ॥ दोहा ॥ जेष्ट सामंत वुलायने । कहे मदन सुणो भ्रात ॥ सहू सुखे रह जो इहां । हूं कोइ कामे जात | ॥१॥ थोडेही दिने आवस्यूं । सामंत कहे कर जोड ।। सुह्ये पधारो माहिबा । सधली चिंता छोड ॥ २ ॥ सुंदरी पूंछे नमन कर । किहां पधारो श्वाम ॥ मदन कहे तुम कारणे । करवो जुगतो काम ॥ ३ ॥ जोग जुगत जमाइ ने । फिर आस्यूं इण ठाम ॥ लेइ जास्यूं तुम भणी । जिम होवे सुनाम ॥ ४ ॥ ते कहे भले पधारिये । मदन हुवा तैयार । धामनी में १ रात्री ते आविया । श्रीपुर नयर मझार ॥ ५॥ ॥ ढाल छट्टी ॥ वसंत ॥ मत ताको हो नार | ॐ विराणी ।। यह ॥ मदनेश्वर उत्तम प्राणी । करे करामात बुद्धवानी ॥ ७ ॥ इच्छित काम | करवाने काजे । पदन जी बुद्धि उपानी ॥ यक्ष देवालय देख मनोहर । रंग्यो चंग्यो मन मानी । विरज्या तेह ठिकानी ॥ म ॥१॥ ब्रह्मचारीको रूप करणने । समग्नी सहू मिलानी || न्हाइ घोइ कुंकम चंदन को । तिलक भाल लियो ठानी ।। कंठ भुजहिये लगानी ॥म ॥ २॥ लांबी चोटी छुट्टी मेली । काली भमर सोभानी ॥ एकांक्षी रुद्राक्ष की माला । कंठ करे पेरानी। पितांबर रंग भलकानी ॥ म ॥ ३ ।। अग्निकुंड मुख आगे कीनो । ज्वालादी प्रजलानी ॥ सुवर्णरत्ननो नाणो राख में । राख्यो गुप्त छिपानी ॥ घोटा मोटा पासा नी॥
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy