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________________ परम पूज्य श्री कहानजी ऋषिजी महाराज की संप्रदाय के बाल ब्रह्मचारी मुनी श्री अमोलख ऋषि जी रचित पुण्य प्रकाश मदन चरित्र पंचम खन्डम् समाप्तम् ॥५॥ ॥दोहा॥ प्रणमूं अहंत सिद्ध को । आचार्य उवझाय ॥ साधू साधवी सरण थी । षष्टम खन्ड रचाय ॥१॥ मदन चरी रस कस भरी । करीने विविध स्वाद ॥ हित चित दे श्रोता सुणो । छांडी सहू विखवाद ॥ २॥ चमत्कार जग बल्लभो । जो कोई aजाणे कर ॥ चमत्कार सिद्ध जस हुवे । सत्य ब्रह्मवृत धर ॥ ३ ॥ मदन सत्यशीले करी || पाया निर्मळ बुद्ध चमत्कार जेजे किया । ते सुण जो चित शुद्ध ॥ ४ ॥ एकदा पुर पायठाणमें । राय भवन मझार ॥ नृप राणीने कुँवरी । एकांत करे विचार ॥५॥ जब्बर पुण्याइ आपणी । अपना पुरके माय ॥ पुण्यवंत मदन जिसा । वसिया सहू सुखदाय ॥
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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