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________________ वार पडा मागें मिलिया । धन वस्त्र सह लूट लिया । निराधार हुह घबराबें ॥ पूर्व ॥ २०॥ कर पस्तावो आगे चल्या । काँटा भाटा बहु दुःख फल्या । किहां ग्राम किहां वने रहावे ।। पूर्व ॥ २१ ॥ चारो पुत्र ग्राम में जाइ । मेहनत कर धन उपजाइ । खान पान वस्तु लावे ॥ पूर्व ॥ २२ ॥ मांजी देवे निपाइ । छेइ जीमी तृप्त थाह । मन चायो तो क्याथी लावे ॥ पूर्व ॥ २३ ॥ इम करतां नित्य गुजारो । दुःख तणा दिन परहारो। कृत कर्म हम खपावे ॥ पूर्व ॥ ॥ २४ ॥ ढाल तीसरी अमोल भणी । जोवो करणी कर्म तणी । डरके रेवे ते सुखी थावे ॥ पूर्व ॥ २५ ॥ॐ ॥ दोहा ॥ इम फिरतां भभूमंडले । काल केताइ मांय ॥ बटपुर ग्रामज देखियो । शेहर बडो सुखदाय ॥ १॥ सेठजी कहे कुटुम्बने । आया आपण दूर ॥ अब फिरवा शक्ती नहीं। इहां करां उदरपूर | ॥२॥ काम कोइ लगसी इहां । औलख से नहीं कोय ॥ दिन खुटावा पाप का। सहू मानी खुसी होय ॥ ३॥ शक्ती न भाडो देणकी । झोंपडी कर ग्रामबार ॥ मृतिका वरतन संग्रही । रहे सहू परिवार ॥ ४ ॥ चारूं भाइ वैपारने । फिरता ग्राम मझार ॥ अंतराय टूटे नहीं । सोचज व्याप्यो अपार ॥५॥ ढाल ४ ॥ गौतम रासा की देशी॥ छेउं मिली आपसमें । तब करे इसो विचार ॥ देखो कर्म गती आपणी। कैसी उदय
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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