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________________ कांह ॥ २ ॥ ठग जोगी अभिमानमें छांयो। शीघ्रगतिये उड तिण पास आयो । कां॥ ३॥ देख्यो आतो जोगी तिणवारो ।। कहे मदन डरिये न लगारो ॥ कां॥ ४ ॥णरो जोर चलसी नहीं कांड । खोटा की कमवक्ती आइ ॥ कां ॥ ५॥ ललकारी जोगी कहे उभा रहो, पापी । जाणो नहीं मुज शक्ती यदापी ॥ कां ॥ ६ ॥ छल करी किम भागी जावो । अकाले , किम भरणो चावो । कां ॥७॥ संभालो तुम इष्टने ताइ । हिवे जीवता छोडू हूं नहीं | ॥ कां ॥ ८॥ मदन विमानने धीरो पाड्यो । खेचरी मंत्रयो जल देखाड्यो ॥ कां ॥ ९॥ मदमातो जोगी गिणती न लावे । ढोंग धूम घणी सामे मचावे ॥ कां ॥ १०॥ मदन कहे इम कर्या कांड होवे । क्यों तूं व्यर्थ बाचा खोवे ॥ कां ॥ ११ ॥ होवे करामात सब ते देखाडो । सोगन गुरुजीकी कसर जो पाडो ॥ कांइ ॥ १२ ॥ जोगी सहू मंत्र अजमाइ भाल्या । पण तिण ऊपर एक न चाल्या ॥ कांइ ॥ १३ ॥ मदन कहे जावो निजी घर भाइ। किम मरवा की तुज मन आइ ॥ कां॥ १४ ॥ एकही छांटो जो जलनो देस्यं तो थारी शक्ती सहू हरलेस्यूं । कां ॥१५॥ समजायो धूर्त समजे नाहीं । तब तो मदन *मनरीसज आइ ॥ कां ॥ १६ ॥ तुम्बी थी जल लेह छिडकायो । जोगीको सहू जोर भगायो ॥ कां ॥ १७ ॥ पहाड कूट ज्यों पडयो धरा आइ । हड्डी नशा सहू ढीली थाह ॥ कां ॥१८ अरटाड पाडी रोवा लाग्यो । विद्या बल सघलो तस भाग्यो कां ॥ १९ ॥ तब जोगीडो PANKINNARYANA
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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