SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 179
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - ४४ ८४ २ तरवार म्हारा । किम ललचाया मन थारा जी । किस्यों देखी रह्या छो मोहारी ॥ नहीं ॥ ६ ॥ देवी | कहे एतन में सुधारूं । सहू अशुची पणो निवारूंजी । सागे वणावं देव जिसारी ॥ नहीं ॥७॥ चलि देव भोजन जिमाइ । देस्यूं अतिबलिष्ट बणाइजी । विलसो मुज सरखी नारी ॥ नहीं ॥ ८ ॥ तप कुँवर कहे सुणो शाणी । थे अबी बणो जरा ज्ञानीजी । छे भोग महादुःख दारी ॥ नहीं ॥ ९॥ क्षणिक सुख बताइ । नर्क तियंचमें लेजाइजी। करे भवो भवमेंहीवारी ॥ नहीं ॥१०॥इम सुणी देवी रिसावे । विकाल रूप बणावे जी । जाणे डाकण जावे गटकारी ॥ नहीं ॥११॥ अरूण नेत्र रोशाला । बचन बदे जिम भालाजी ॥ कर करवाल भलकारी नहीं ॥ १२ ॥ तुम महारो षचन नहीं मानो। तो जाणो मृत्यु आयो थाणोजी । करूं चउ टुकडा एक घारी ॥ नहीं ॥ १३ ॥ इम देखी मावर नही डरिया । बोलण लागा रोशमें भरिया जी। हम मरणसे नहीं डरपारी ॥ ॥ नहीं ॥ १४ ॥ नहीं थांरा वचनमैं मानां । जे भवो भव में दुःख दानाजी ॥ एक भवमें 5 मरी छुटारी ॥ नहीं ॥१५॥ पर स्त्री भोगण त्यागे । ते प्राणांते नहीं भागे जी । कर जे जे इच्छा थारी॥ नहीं ॥ १६॥ हम होतब इसडो होसी । तो प्राण हमारा तूं खोसीजी । नहीं तो नहीं थारी सत्तारी ॥ नहीं ॥ १७॥ देवी कहे इष्ट साभलो । इम कदी मारी | E करवौलो जी ॥ जाणे हो जासी टुकडारी ॥ नहीं ॥ १८॥ शील प्रभाव नहीं लागी । जैसे १ ढाल
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy