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________________ म.श्रे. जे पाह सामग्री गमावे ॥ १९॥ केइ बिगडी भणी सुघारे । तो पण होवे खेवा पारे । जे करवो ते निज हित काज । गुरु उपदेश छे हित साज ।। २० ॥ इत्यावी उपदेश सुणायो में ॥ देव सुणने अतिहर्षायो । ढाल पंचम खंड की पांच । कहे अमोलख गुण राच ॥ ११ ॥ * ॥ दोहा ॥ सुण उपदेश जोगी तणो । असुर अतिनरमांय ॥ सत्यवाणी छे आपकी । सुख दिया सुख पाय ॥ १ ॥ मदन कहे नरमाय ने ॥ बुरो न मानो लगार ॥ ऐसा ज्ञानी होय ने । किम कियो शेहर उजाड ॥२॥ देव कहे इणने विषे । महारो नहीं छे दोष ॥ अन्याइ नृपलालची । सहू पाया अपशोष ॥ ३ ॥ मदन कहे इण पुरपति । किस्या कियो ८२ अन्याय ॥ दीसे उपदेशिक कथा । मुणवानी मुज चहाय ॥ ४ ॥ लालय बुरी बलाय छ । सुणो मित्र मदनेश ॥ उजड पुर होवे तणो । कारण कहूं अवशेष ॥५॥ॐ ॥ ढाल ६ मी ॥ सुणो चंदा जी । श्री मन्दिर परमात्म पासे जाव जो ॥ यह ॥ सुणो गुणवंत जी । E/ सांच झूरको न्याय हियामें तोलिये ॥ अहो बुद्धिवंत जी । निरापक्ष हो सांच होवे सो बोलिये ॥ यह ॥ आनंदपुर यह नयर भलो । नृप यशोधर नगर तिलो । श्रीमतिराणी Fiगुणनिलो ॥ तस पुत्र गुणसेण शुभमिलो ॥ सु॥१॥ इहां धनदत्त नामे सेठ रहे । तस 8१ दूरकरे 23 द्रव्य तोल कोइ नहीं लहे । दाने माने पर दुःख दहे । रूपश्री नार तस गुण गृहे | ॥ सु॥२॥ पतिवृताते शीलवती । दम्पतिनी घणी धर्म रेती । जिनदेव गुरु निग्रंथ यति म
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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