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________________ म. श्रे. 43.MASTERSYRIANRN सत्य शील तप जप प्रभावे । सब वस होय निठोर ॥ म ॥ ६॥ वैम धरी घणा धोखा | खण्ड ५ खावे । देखी देवचरित्र ॥ विन कारण ते नहीं सतावे । ते होवे मन पवित्र ॥म ॥७॥ सिखामण दोनों मन धारी । प्रणम्या जोगी पाय | आप पसाये भय नहीं हमने । देखिये करांजे उपाय || म ॥ ८ ॥ आया मेहलने बाहिर दोइ । बोले आपस माय ॥ कहो अंगजजी किस्यो करां अब । देवत जिम वस थाय ॥ म ॥ ९॥ अंगज कहे आप * छो बुद्धिवंता । कहो सो करूं प्रमाण ॥ डर नहीं किंचित किणरो मुजने । न राखू देवकी काण ॥ म ॥ १० ॥ गुरुराजने आप जैसाकी । कृपा मुजपे पूर । देखी सके कुण वांकी, नजरे । छे किणकी मगदूर ॥ म ॥ ११ ॥ देखू यक्षतो हिवणा पकडी । लावू आप हजूर ॥ इत्यादि साहस वयण सुण । हरख्यो मदनको नूर ॥ म ॥ १२ ॥ मदन कहे तो आप विराज्यो । नगर तणी जिहां पोल । देखीजो किण तरह आवे । करीब सूरतसे तोल ॥ म ॥ १३ ॥ जोग होय तो जाइ मिलजो । करजो बहु सत्कार ॥ आपण अण ओलखिता तेहने ॥ तेहथी नहीं करे क्षार ॥ म ॥ १४ ॥ कर धरी लाजो मुज पासे । हूं बैटूं इण ठाम ॥ आज तो थाने करूं आगे करूं आगे वाणी । जाणी मोटो | काम ॥ म ॥ १५॥ अंगज कहे यह सहज काम है । लावू अब्बी पकड ॥ वयण शीस चडाइ चाल्यो । मदनने पांये पड ॥ म ॥ १६ ॥ सूरज पोलने ऊपर आइ । बैठा जोता
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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