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१ खरब
सहने बंधार आस । अमोल ढाल दूजी कही । अब जोवो मदन अभ्यास || भविक ॥ २१ । #॥ दोहा ॥ उभय गया तदनतंरे । मदन करे विचार ॥ हिवे ग्राम वसाववा । करणो | किस्यो उपचार ॥ १॥ तब ते जोगी बोलिया। फरमावो मदनेश | एह रचना किणविध
हुई । मुज मन संशय विशेष ॥२॥ किण नगरी उजड करी । निपज्यो किस्यो अन्याय ॥ PR चरित्र वीत्यो मुज कहो । पीछो करस्युं उपाय ॥ ३!! मदन कर जोडी भणोरूट्यो छे कोई देव ॥ रूप करे विहां मणो । इहां आवे नित्यमेव ॥ ४॥ हाक करे अलखामणी । त्रासीर
ला लोक ॥ वन माहीं जाइ वस्या । कीजे सुखको थोक ॥५॥ ॥ ढाल ३ जी॥ भूमीसर अलवेसर साहिब ॥ यह ॥ मदन महाबुद्धवंत करे छे । यक्ष वस लावा उपाय | बुद्धिने साहसने आगल । सह कार्य सहज थाय । म ॥ १॥ यक्ष शयनकी सेज निहाली ।
सुखमाल घणी सुखदाय ॥ कहे जोगीसे इणपर विराजो । सीधो रखीछे विछाय ॥ म|| ६॥२॥ सुखे शयन इणपर करो जी । था क्या होसो श्वाम ॥ हम बैठां जा मेहल,
वाहिरे । देखा देवका काम ॥म ॥ ३ ॥ आप प्रशादे देव समजाइ । लावशां आपके पास ॥ ते तो सेवा आपकी करसी । आप समजाजो तास ॥ म ॥ ४॥ जोगी विरा ज्या सेज्या ऊपर । मदन प्रणम्या पाय ॥ जोगी कर दोनों सिरपर फेरी । कहे बच्छ । डरीये नाय || म ॥५॥ देव दानव मानवको आपणे पर । चाले नहीं कछु जोर ॥