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म. श्रे.
|| पुत्री संग ले आविया । बताविया । निर धाण सय प्रजा भणीजी ॥ मदन नारी थी * 5 पूछे त्यारे किस्यो वैर पतिथी थारे । नाक उतारे । किहां किण वेलां लेवि अणीजी ॥ १० ॥
१ नाक कट ६३ मशाहाजी बातमांडी कही । मुज कन्या चूकी गइ । आज निशमइ । मुज जमाइरोसे भरी
जी ॥ निद्रामें नाककापी यो । और शब्द नहीं भाखियो । मदन कियो । एनाण लावो ढूंढी व करी जी ॥ ११ ॥ सामंत्त साथे भेजियो । ओरो चउ बाजू पेखियो । नहीं देखियों । रक्त
| टीपने हाडको जी ॥ मून धरी फिर आविया । मदन भणी दरसाविया। नहीं पाविया । निघालणाभासेनाण जोवो ताडको जी ॥ १२ ॥ नृप पूंछे तब किम भयो । नाशिक एनो किण लियो ।
सह विस्मयो । हिव न्याव चौकस थावसी जी ॥ मदन कहे चौकस करो। नहीं अपराधी ए नरो । निश्चय धरो । नारी खोटी स्वभावथी जी ॥ १३ ॥ चालो नाक हूं देखाई । मुर्दाना | | मुखथी कहाडूं। असत्य झाडूं । राजादी सुण आश्चर्य भयाजी । सहु मदन साथे गया। #जोगी राजसभामें रया। सहू आगया। स्मशांणे सूली जिहां जी ॥ १४ ॥ शैब मुख ३ मुरदा | थी नाक कहाडिया । सहू लोकाने देखाडिया । सहु चालिया। राज कचेरी आवियाजी ॥ रातनी बात मदन बीती । कही सहू थइथी जेती। हुई फजिती। नारी चरित्र गवाविया
जी ॥ १५॥ राय नारीपे कोपियो । मारणको हुकम दियो । मदन कह्यो । इम तो नहीं | * होवे कधीजी ॥ लोकने धास्ती कारणे । कहाडो देशने बारणे । ते धारने । करी