________________
म. श्रे. बूब्यो चहायो वारीरे ॥ भा ॥ ३ ॥ इण सुखासने आप विराज्यो । आरोगे अन्नवारीरे
खण्ड ३ R॥ भा ॥ ४॥ भक्ती प्रेम अतुल्य तस जोइ ॥ लाग्यो मदनने आश्चर्य कारीरे ॥ भा ॥५॥ में मैं तो ओलखू इणने नाहीं ॥ इण किम नाम कियो जहारीरे ॥ भा॥ ६॥ इत्ती खुशा
मद करे किण काजे । नहीं दीसे छे एह ठगारीरे ॥ भा॥७॥ अपणां पाससे किस्यो १ पाणी लेसी । मैं तो पहला छां बावारीरे ॥ भा॥ ८॥ तिहां विराजी आणंद पाया । थाक
| सहू गली गयारीरे ॥ भा ॥ ९॥ दूजो जोगी बैठो पासे । रह्यो मून ते धारीरे ॥ भा ॥
१० ॥ पूछे मदन तिण कन्या तांह ॥ किण कारण रहो एक लारीरे ॥ भा ॥ ११ ॥ किण र RC कारण पुर ए उजड । किहां गया नरनारीरे ॥ भा ॥ १२ ॥ महारो नाम थे किम पहचाणो
किण काज मार्ग निहारीरे ॥ भा ॥१३॥ तव कुँवरी कहे नरमाइ। भोजन जीम्यां कहूं | सारीरे ॥ भा ॥ १४ ॥ नहीं अंतर आपसे है कांह । जीवा छां आप आधारीरे ॥ भा ॥ १५ ॥ मदन अचंभी अर्ज ते मानी ॥ तब उष्णोदक थयारीरे ॥ भा॥१६॥
पीठी तेलनो मर्दन कीधो । फिर शुद्धोदक नह्यारीरे ॥ भा ॥ १७ ॥ ते तले तिण २ चांदी
रसोइ बणाइ । अति चतुरता संवारीरे ॥ भा ॥ १८ ॥ शाग दाल घृत मिष्ट पक्कान । व्यंजनादी बहु त्यारीरे ॥ भा ॥ १९ ॥ रजत पाट सोनारी थाली । मुखमली गादी विछारे ॥ भा॥ २०॥ मेली रत्न जडित कटोरी। स्वादी तोय हेम झारीरे ॥ भा ॥ २१ ॥