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________________ १ अनाज * हाट हवेली। उतंग रंगी सुढाल ॥१॥ प्रजापति हाटे मृतिक भंड बहुरंग ओला ओल जमाया। पढिया छे केइ ढंग ॥२॥ महतरनी हाटे । भाजी फल बहुताय ॥ डाला भर घरीया । रखवालाको नाय ॥ ३ ॥ मालीनी हाटे पुष्प बहु प्रकार । भूषण बहु रंगा । गजरा तुर्राहार ॥ ४ ॥ पसारी हाटे किरियाणा बहु भाँत ॥ बन्धा छुट्टा धर्या । मार्ग चलत देखात ॥ ५॥ भुशार दुकाने । चौवीस तरह नो नाज । ऊंच ढगला लगी या। कोठा थेला भर्याज ॥६॥ कसारा हाटे धातू पात्र झलहल ॥ छे केइ भाँतना । चिनित वरण विमल ॥ ७॥ खुडद्यानी हाटे । नाणा सिक्का अनेक ॥ ढगली कर धरिया । सुवर्ण रुपविशेक ॥ ८ ॥ मणीहारनी हाटे । काँच कागदको माल ॥ मणियोंना भूषण । चकित होवे नर भाल ॥ ९॥ बजाज बजारे । वस्त्र बहु प्रकार ॥ लटकता दीपे । केह जरी जरतार ॥ १० ॥ सर्राप लोक तो । चांदी सोनो विस्तार ॥ भूषण बहु परेना । मेल्या बसणे पसार ॥ ११ ॥ जवेरीनी पेढीये । खुल्ला पडिया करंड ॥ जवेरात बहु परे व जडित भूषण मंड ॥ १२ ।। हुन्डी बाला तो गादी तकिया लगाय ॥ भरी रोकड भंडारे ॥ ठाठ घणो ही शोभाय ॥ १३ ॥ इम रचना बजार की । जोता हुया पार ॥ पण तस रखवाला । दीठा नहीं नर नार ॥ १४ ॥ आगे आइ हवेल्या । श्रीमंत रहवा जोग । तिण माही भाह । साहती सामग्री छोग ॥१५॥ पड्या वस्त्र लम्बा । गेणा पण घणी
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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