________________
तो भी हम देती माफी ॥ कहो तुमारे मनने होय सो करे कार्य यह वक्त
अडी ॥ हो ॥ १४ ॥ इम सुणी मदन हर्षाया । पटके आडे ऊभे रही । नीलाम्बर |दिये बाहिर डाली । लेह किन्नरी खुशी भइ ॥ तत्क्षण मदनजी वाहिर आये । सहू जणी जो आश्चर्य पाइ । अल्पये साहसवंत भारी । मानव पुण्यवंत देखाइ ॥ ढाल
अष्टमी कही अमोलक पुन्यवंतकी झुकती घडी । हो ॥ १५॥ ॥ दोहा ॥ हर्षी | | बोले अपच्छरा । अहो पुरुष महाभाग्य ॥ किण कारण इहां आविया ॥ कीधी हमसे लाग| R॥१॥ चाहिये सो दरशाइये । हम सरीखो कोइ काज ॥ मदन नरमाइ इम भणे। | भाग्य भलो मुज आज ॥२॥ दरसण दीठा आपका । पूगी सघली हाम ॥ काज एक छे | आपथी । ते पूरो गुण धाम ॥ ३ ॥ रुद्र नाम एक जोगियो । अदृश्य करी कपट ॥ |पुर पयठण भूधव तणी । कन्या लायो झपट । ४ ॥ ते लेवण हूं आवियो । जाण्यो नोगी बलिष्ट ॥ करामात कोइ दाखिये । पूरे म्हारो इष्ट ॥ ५ ॥॥ ढाल ९ मी ॥ श्री सीमंधर श्वाम सासण श्वामीरे ॥ यह ॥ खेचरी कहे चित लाय । मदन जी सुणियरे ॥ ते जोगी विद्या भंडार । जीत्यो न जाय किणीयेरे ॥ १॥ए बहु विसंमो काज । तुम दरसायोरे ॥ नहीं सहजे ते वस आय । दाखू उपायोरे ॥२॥ तिण वस कीधा बडादेव । मंत्र प्रभावरे ॥ जे तससामें थाय । तस शान गमावरे
राजा
=