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________________ મા કલ્યાણુ મન્દિર મહાયત્ર पून विधिः अनुसार उन सूरिजी का ही शिष्य बना। उस समय गुरूने उनका कुमुदचंद्र नाम रखा। फिर अनुक्रम से उन्हें जब सूरिषद दिया तब उनका नाम सिद्धसेन दिवाकर रखा । एक दिन उनके साथ बाद करने के लिये आए हुए भट्ट को सुनाने के लिये नवकार के स्थान पर 'नमोऽर्हत् सिद्धाचार्योपाध्याय सर्व साधुभ्यः' इस प्रकार चौदह पूर्व में कथित संस्कृत मंत्र कहा | इसी प्रकार एक दिन उन सिद्धसेन सूरि ने अपने गुरु को कहा कि 'ये सभी आगम प्राकृत में हैं इन्हे में संस्कृत बनाएँ ।' सब गुरुने उन्हें कहा कि 'बाळ, स्त्री, मंद बुद्धि वाले और मूर्खननों - जो चारित्र लेने के इच्छुक हो उनके लिये तीर्थकर की आज्ञा से गणधरों ने सिद्धान्त ग्रन्थ - आगम प्राकृत में रचे हैं जो उपयुक्त हैं, फिर भी तुमने ऐसा विचार किया इससे तुम्हे बडी माशासना लगी है जिसका प्रायश्चित मी बढा भारी लगा है ऐसा कहकर उन्हें गच्छ से बहिष्कृत किया। यह सुनकर संघ ने एकत्रित होकर गुरुको विज्ञप्ति की कि सिद्धसेन सूरि शासन के बड़े प्रभावक हैं, इन्हें गच्छ से बहिष्कृत करना उपयुक्त नहीं हैं । इस प्रकार संघ ने बडा आग्रह किया तब गुरुने कहा- 'जब यह मठारह राजाओं को प्रतिबोधित कर उन्हें जैन बनाएगा तब यह गच्छ में जाने योग्य बनेगा ।' इस प्रकार गुरुकी आज्ञा अंगीकार कर सिद्धसेन सूरि उज्जयिनी नगरी में गए। वहां राजा विक्रम अश्वक्रीडा करने जा रहे थे । उन्होंने सूरि को देख कर उनका परिचय पूछा। सूरि ने अपना परिचय देते हुए कहा 'मैं सर्वज्ञपुत्र हूँ' । यह सुनकर उनकी परीक्षा करने के लिये राजा ने उन्हें मन ही मन नमस्कार किया, जिस पर सूरि ने हाथ ऊँचा करके राजा को धर्मलाभ का आशीर्वाद दिया । राजाने पूछा- 'किसे धर्मलाभ दे रहे हो ? सूरि बोले- 'जिसने हमें मन ही मन नमस्कार किया हैं उन्हें हमने धाम दिया है।' यह सुनकर प्रसन्न हुए राजा ने सूरि को एक करोड स्वर्ण मुद्राएँ भेंट की । सूरि ने उन्हें स्वीकार न कर धर्मकार्य में उसका उपयोग करवाया। इसके कुछ समय बाद सूरि चार लोक बनाकर राजद्वार गए। वहां उन्होंने राजा को पुछवाया कि *************************** ॥२१८॥
SR No.600292
Book TitleBhaktamar Kalyanmandir Mahayantra Poojan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVeershekharsuri
PublisherAdinath Marudeva Veeramata Amrut Jain Pedhi
Publication Year
Total Pages322
LanguageGujarati
ClassificationManuscript, Ritual, & Vidhi
File Size9 MB
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