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________________ विशेषावश्यक • गाथाः श्रीमलधाएगेगिदियगज्झा जह वायच्वादओ तहग्गेया । होउं चक्खुग्गज्झा, घाणाईगिज्झयामेति ।। ७७ ॥ १९९० ॥ यतिदिष्टा | असतो खरसंगस्सव सतोवि दाइभावओ जं च । अग्गहणमतो नियमो, न य पत्ते तेण णस्थित्ति ॥ ७८ ॥ १९८३ ।। ॥५१॥ | ण विकाराणुवलंभादागासंपिव विणासधम्मा सो । इह नासिणो विकारो, दीसह कुंभस्स वावयवा ॥ ७९ ॥ १९८७॥ असतो नत्थि पसूती, होज्ज व जइ होउ खरविसाणस्स । न य सव्वहा विणासो, सव्वुच्छेयप्पसंगाउ ॥ ३८८०॥ १९६८ ।। तोऽवत्थितस्स केणइ नासो धम्मण मवणमन्त्रेण । वत्थुच्छेदो न मतो, संववहारावरोहाओ ॥ ८१ ॥ १९६९ ॥ & कालंतरणासी वा घडोव्य कयगादितो मती होज्जा । नो पद्धंसाभावो, भुवि तद्धम्मावि जं निचो ।। ८२ ॥ १९८२ ।। जह दीवो नेव्वाणो, परिणामंतरमिओ तहा जीवो । भण्णइ परिनेव्वाणो पत्तोऽणाबाधपरिणामं ॥ ८३ ॥ १८८१ ॥ मुत्तस्स परं सोक्खं जाणाऽणापाहओ जहा मुणिणो । तद्धम्मा पुण विरहादावरणाबाहहेऊण ॥ ३८८४ ॥ १९९२ ।। पुग्नापुनकयाई जं सुहदुक्खाई तेण तमासे | तण्णासो तोऽमुत्तो निस्सुहदुक्खो जहागासं ॥ ८५॥ २००२ ।। अहवा निस्सुहदुक्खो णभंव देहिदियादभावाउ । आहारो देहोच्चिय जे सुहदुक्खोवलद्धीर्ण ॥ ८६॥ २००३ ।। | पुण्णफलं दुक्खं चिय कम्मोदययो हलंब पावस्स । नणु पावफलेवि समं, पच्चक्खबिरोहया चवं ॥ ८७ ॥ २००४ ॥ जत्तोच्चिय (पच्चक्खं) सोम! सुहं नत्थि दुक्खमेवेदं । तप्पडिगारविसिटुं तो पुण्णफलंपि दुक्खंति ॥ ८८ ॥ २००५ ।। विसयसुहं दुक्खंचिय दुक्खप्पडियारओ तिगिच्छव्य । तं सुहमुवयाराओ ण योवयारो विणा तच्चं ॥ ८९ ॥ २००६ ॥ तम्हा जं मुत्तसुहं तं तच्चं दुक्खसंखएऽवस्सं । मुणिणोऽनाबाहस्सव णिप्पडिगारप्पसतीउ ॥ ३८९० ॥ २००७ ।। KARRAORAKAIRS
SR No.600286
Book TitleNandisutrasya Churni
Original Sutra AuthorRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Author
PublisherRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Publication Year1928
Total Pages238
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_nandisutra
File Size19 MB
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