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________________ विशेषावश्यक गाथाः श्रीमलधा-8 सोऊण अणाउदि अणभीओ वज्जियाण अणगं तु । अणवज्जयं उवगतो धम्मरुई नाम अणगारो ॥ ३३३८॥ ८७७ ॥ बेतिदिष्टाद परिजाणिऊण जीवे अज्जीवे जाणणा परिणाए । सावज्जजोगकरणं, परिजाणति से इलापुत्ते ॥ ३३३९ ॥ ८१८ ॥ पच्चक्खेवि य दलु जीवाजीवे य पुनपावं च । पच्चक्खाया जोगा सावज्जा तेयलिसुतेण ॥ ३३४० ॥ ८१९॥ ॥४०॥ जह निब्बुइपुरमग्गं पुरावणो विविहपहियसत्थस्स । दरिसेइ धवच्चमाणो दब्वादिविहाणसुविसुद्धं ॥ ३५०१ ॥ दातह निव्वुइपुरमग्गो, पुरा जिर्णिदहिं भवियसत्थस्स । उवहट्टो सुविसद्धो, निव्वुहफहदेसिया तो ते ॥ ३५०२ ॥ जह सो देसियनिब्बुइपुरमग्गो तं धणं पधियसत्थो । चिरगयमप्पभिणंदर महोबगारित्ति तह चेव ।। ३५०३ ।। ६ संसाराअडवीए मिच्छतण्णाणमोहियपहाए । जेहि कय देसियत्तं ते अरिहंते पणिवयामि ॥ ३५०४ ॥९०९॥ |जह चखणा सुदिट्ठो विण्णाणण य धणेण विष्णाओ। गमणकिरियाय पहओ महापहो सो तह इमोवि ॥५॥ सम्मईसणदिहोणाणेण य तेहि सुठु विण्णातो । चरणकरणेण पहओ नेव्वाणपहो जिणिदेहिं ॥ ३५०६ ॥९१०॥ शनिब्बुइपुरं ससत्थो जह सस्थाहो गतो अविग्घेणं । पत्तो परं च सोक्खं, तहा जिणिंदा सपरिवारा ।। ३५१७॥ सिद्धिवसहि उवगया नेव्वाणसुहं चं ते अणुप्पत्ता'। सासयमव्वाबाहं पत्ता अजरामरं ठाणं ॥ ३५०८ ॥ ९११॥ जह चिरगयमिवि धणे तक्यमग्गेण पहियसंघाओ। टंकुक्खतक्खरागममणुसरमाणो पुरं पत्तो ॥ ३५०९॥ तह चिरगतेसुवि जिणेसु भवियस्सत्थोऽधुणावि मग्गेणं । सुयनाणमणुसरतो, सिवपुरिमचिरेण पाउणति ॥३५१०॥ Pउयहिंमि कालियावातविरहिए गज्जहाणुकूलंमि । जह सुणिउणनिज्जामयपरिग्गहाऽणासवा पोता ॥ ३५११ ॥ CARRIAGAR ॥४॥
SR No.600286
Book TitleNandisutrasya Churni
Original Sutra AuthorRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Author
PublisherRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Publication Year1928
Total Pages238
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_nandisutra
File Size19 MB
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