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________________ विशेषागाथाः वश्यक श्रीमलधा- माणुस्सखेत्तजाई कुलरूवारोग्गमाउयं बुद्धी। समणोग्गहसद्धासंजमो य दुलहाई एयाइं ॥ ३२५७॥८३१॥ यतिदिष्टाः चोल्लगपासगधण्णे जूए रयणे य सुमिण चक्के य । चम्मजुगे परमाणू दस दिळता मणुयलंभे ॥ ३२५८ ॥ ८३२ ॥ ॥३७॥ इंदियलद्धी निव्वत्तणा य पज्जत्ति निरुवहयखेमं । धायारोग्गं सद्धा माहगउवओग अट्ठोय ॥ ३२५९ ॥ अन्य १९ प्र. लद्धपि माणुसत्तं, खेत्तं जोगमतिदुल्लहं भुज्जो। लद्धं ते दोवि पुणो सुदुल्लहा सोहणा जाई ॥ ३२६० ॥ | एवं पुव्वं २ लद्धपि तदुत्तरं पुणो दुलहं । जं माणुस्साईण सुदुल्लहं तेण सामइयं ॥ ३२६१ ॥ माणुस्साइसु दुल्लभमेककं जह तहेदियाईणि । पत्तेयं २ दसदिटुंतोवणेयाई ॥ ३२६२॥ #जह समिला पन्भट्ठा सागरसलिले अणोरपारंमि । पविसेज्ज जुगच्छिदं किहवि भमंती भमतंमि ॥ ३२६३ ।। ८३४ ॥ ४ पुव्वंते होज्ज जुगं अवरते तस्स होज्ज समिला उ । जुगछिमि पवेसो इय संसइओ मणुयलंभो ।। ३२६४ ॥ ८३५ ॥ | सा चंडवायवीईपणोल्लिया अवि लभेज्ज जुगछिदं । णय माणुसाओ भट्ठो जीवो पडिमाणुसं लहइ ।। ३२६५ ।। ८३५ ।। इयदुल्लभलंमं माणुसवणं पाविऊण जो जीवो । ण कुणइ पारत्तहियं सो सोयइ संकमणकाले ॥ ३२६६ ॥ ८३६ ॥ |सो वारिमज्झबूढोव्व गयवरो मच्छउन्च गलगहिओ । वग्गुरपडिओव्व मओ संवट्टइतो जहा पक्खी ॥ ३२६७ ॥ ८३७ ॥ & सो सोयइ मच्चुजरासमोत्थओ तुरियनिहपत्रिखत्तो । तातारमविदंतो कम्मभरसमोत्थो जीवो ॥ ३२६८ ॥ ८३८॥ काऊणमाणेगाई जम्मणमरणपरिसणसमाई । दुक्खेण माणुसत्तं जइ लहइ जहिच्छया जीवो ॥ ३२६९ ॥८३९ ॥ |तं तह दुल्लहलंभ विजुळयाचंचलं मस्सत्तं । लभूण जो पमायइ सो कापुरिसो न सप्पुरिसो ॥ ३२७० ॥८४०॥
SR No.600286
Book TitleNandisutrasya Churni
Original Sutra AuthorRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Author
PublisherRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Publication Year1928
Total Pages238
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_nandisutra
File Size19 MB
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