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________________ उपासकदशांग सानुवाद &&&&*** १ आनंदा ध्ययन ॥३६॥ ॥३६॥ पोसहोववासस्स सम्म अणणुपालणया ११ । तयाणन्तरं च णं अहासंविभागस्स समणोवासएणं पञ्च अइयारा दुष्प्रमार्जितउच्चारप्रस्रवणभूमि-स्थंडिलभूमि अने पेशाब करवानी भृमिनी प्रमार्जना न करवी अथवा बरोबर प्रमार्जना न करवी. ५ पोषधोपवासर्नु बरोबर पालन न करवू. त्यार पछी श्रमणोपासके यथासंविभाग-अतिथिसंविभाग व्रतना पांच अतिचारो जाणवा, पण वगेरेना शब्द वडे जणावनारने शब्दानुपात नामे अतिचार लागे छे. शब्दनुं अनुपातन-तेवा प्रकार- उच्चारण कर के जेथी ते शब्द | बीजाना कानमा प्रवेश करे. ४ 'रूवाणुवाए' रूपानुपात-अभिग्रह करेला भूमिप्रदेशनी बहार कोई काम पडे त्यारे शब्दनुं उच्चारण कर्या सिवाय ज बीजाने पोतानी पासे लाववा माटे पोताना शरीरनुं रूप बतावq ते रूपानुपात. ५ 'बहिया पुग्गलपक्खेवे' बहिः पुद्गलप्रक्षेप-अभिग्रह करेल भूमिप्रदेशनी बहार प्रयोजन पडे त्यारे बीजाने जणाववा माटे तेना उपर पुद्गल-ढेफु वगेरे फेंकबु. अहीं प्रथमना बे अतिचार अनाभोगादि बडे होय छे अने पछीना त्रण अतिचार व्रतसापेक्ष होवाथी होय छे. 'पोसहोववासस्स'त्ति. पोषध शब्द अष्टमी वगेरे पर्वने विशे रूढ छे, तेथी अष्टम्यादि पर्वने विशे उपवास करवो ते पोषधोपवास | जोवाथी ते तेनी पासे आवे छे. तात्पर्य आ छे के मर्यादित क्षेत्रनी बहार रहेला कोइ मनुष्यने व्रतभंग थवाना भयथी नहि बोलावतो पोताना शब्द संभळावाना के रूप देखाडवाना बहानाथी तेने बोलावे छे माटे व्रतसापेक्ष होवाथी शब्दानुपात अने रूपानुपात ए बन्ने अतिचार छे. अहीं प्रथमना बे अतिचार मन्द बुद्धि होवाथी के सहसाकारादि बडे अने छल्ला त्रण अतिचार माया कपट बडे थाय छे. अहीं दिशाव्रतना संक्षेप करवानी पेठे बीजा व्रतोनो संक्षेप करयो ते देशावकाशिक व्रत छे एम पृद्ध आचायों कहे छे. (प्र०)-अतिचारो दिशाबतना कहेवामां आव्या छे, परन्तु बीजा प्रतना संक्षेप करवाना अतिचारो कह्या नथी, तो बीजा व्रतोनो संक्षेप करवो ते देशावकाशिक व्रत केम कहेवाय ? (उ०)-बीजा प्राणातिपातादि विरमण व्रतना संक्षेप करवामां वध बन्धादि अतिचारो होय अने दिशाबतने संक्षेप करवामां क्षेत्रनो संक्षेप करेलो होवाथी प्रेष्यप्रयोगादि अतिचारो होय, माटे अहीं भिन्न भिन्न अतिचारोनो संभव होवाथी दिशावतनो संक्षेप करबो एज साक्षात् देशावकाशिक व्रत का छे. जुओ योग० प्र० ३ लो. ११७
SR No.600279
Book TitleUpasakdashanga Sutra
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAbhaydevsuri
Publication Year
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_upasakdasha
File Size15 MB
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