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________________ उपासक दशांग सानुवाद उल्लणदन्तवणफले अभिङ्गणुव्वट्टणे सणाणे य। वत्थ विलेवण पुप्फे आभरणं धूवपेजाइ ॥८॥ भक्खोयण सूय घए सागे माहुर-जेमण-पाणे य। तम्बोले इगवीसं आणन्दाईण अभिग्गहा ॥९॥ उड्ढे सोहम्मपुरे लोलूए अहे उत्तरे हिमवन्ते । पञ्चसए तह तिदिसं ओहिष्णाणं दसगणस्स ॥१०॥ दसण-वय-सामाइय पोसह-पडिमा-अबम्भ-सच्चित्ते। आरम्भ-पेस-उद्दिट्ठवज्जए समणभूए य ॥११।। इक्कारस पडिमाओ वीसं परियाओ अणसणं मासे । सोहम्मे चउपलिया महाविदेहम्मि सिज्झिहिइ ॥१२॥ पहेला आनन्द श्रावकने बार हिरण्यकोटि, बीजा श्रावकने अढार, त्रीजाने चोवीश, अने पछी चोथा, पांचमा अने छट्ठा ए त्रण श्रावकने अढार अढार कोटी, सातमाने त्रण कोटी, आठमाने चोवीश कोटि अने नवमा तथा दसमा श्रावकने बार बार हिरण्यकोटि १० सालिहीपिता अध्ययन | ॥१८॥ ॥१८॥ द्रव्य छै. उल्लण-अंगुछा, दातण, फळ, अभ्यंग, उद्वर्तन, स्नान, वस्त्र, विलेपन, पुष्प, आभरण, धूप, पेया, भक्ष्य, ओदन, सूप, घी, शाक, माधुर, (फळनो मधुर रस) जमण, पाणी अने तांबूल ए एकवीश प्रकारना अभिग्रहो आनन्दादि श्रावकोने छे. उर्ध्व दिशामां सौधर्म देवलोक सुधी, अधो दिशामां रत्नप्रभाना लोलुयच्चुय नरकावास सुधी, उत्तरदिशामा हिमवन्त पर्वत सुधी अने चाकीनी त्रणे दिशामां पांचसो योजन सुधीन अवधिज्ञान दसे श्रावकोने छे. बधा श्रावकोने दर्शन, व्रत, सामायिक, पोसह, कायोत्सर्ग प्रतिमा, अब्रह्मचर्यवर्जन, सच्चित्ताहारवर्जन, आरंभवर्जन, प्रेष्यवर्जन, उद्दिष्टवर्जन, अने श्रमणभूत ए अगियार प्रतिमाओ छ, वीश वरसनो श्रावकपणानो पर्याय छे, एक मासर्नु अनशन छे, सौधर्म
SR No.600279
Book TitleUpasakdashanga Sutra
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAbhaydevsuri
Publication Year
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_upasakdasha
File Size15 MB
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