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उपासकदशांग
सानुवाद
॥१४॥
| सेसं पेज्जविहिं पञ्चक्खामि ३ | तयाणन्तरं च णं भक्खविहिपरिमाणं करेइ, 'नन्नत्थ एगेहिं घयपुण्णेहिं खण्डखजएहिं वा, अवसेसं भक्खविहिं पञ्चक्खामि' ३ । तयाणन्तरं च णं ओदणविहिपरिमाणं करेइ, 'नन्नत्थ कलमसालिओदणेणं, अवसेसं ओदणविहिं पञ्चक्खामि ३ | तयाणन्तरं च णं सुवविहिपरिमाणं करेइ, 'नन्नत्थ कलायसूपेय विधिनुं (पीवा योग्य वस्तुनुं ) परिमाण करे छे. एक काष्ठपेया (मगना ग्रुप के तंडूलना ग्रूप) सिवाय बाकीना पेयविधिनो त्याग करूं छं. त्यार पछी भक्ष्यविधि (पकवान ) नुं परिमाण करे छे. एक घृतपूर्ण (घेवर) अने खंडखाद्य - खांडना खाजा सिवाय बीजा भक्ष्यनो त्याग करुं छं. तेना पछी ओदनविधिनुं परिमाण करे छे. एक कलमशालिना ओदन सिवाय बाकीना ओदनविधिनो त्याग करूं कुं. त्यार पछी सूपविधि - दाळनुं परिमाण करे छे. कलाय - वटाणानो सूप, मगनो सूप अने अडदना सूप सिवाय बाकीना बधा कपासना बनेला बे वस्त्रो सिवाय बीजा वस्त्रोनो त्याग करे छे, विलेपन विधिना परिमाणमां 'अगरु ति अगुरु-सुगंधी द्रव्य विशेष छे, अगर, कुंकुम-केसर अने 'चंदनादि सिवाय बीजा द्रव्यना विलेपननो त्याग करे छे. पुष्पविधिना परिमाणमां 'सुद्धपरमेणं' बीजा पुष्पो विनानुं पुंडरीक - कमळ अथवा शुद्ध पद्म-केवळ कमळ, अने 'मालहकुसुमदाम'त्ति मालती-जाइना पुष्पनी माळा सिवाय बीजा पुष्पविधिनो त्याग करे छे. आभरण विधिना परिमाणमां 'मकण्णेज्जपहिं' मृष्टकाणैयकाम्याम् - मृष्ट- चित्र विनाना सुकोमल एवा कार्णेयककाना आभरण अने नाममुद्दाए' नामवाळी मुद्रा-वींटी सिवाय वीजा आभरणनो त्याग करे छे. धूपना विधिना परिमाणमा अगर, 'तुरुक्क धूवत्ति तुरुष्क- ' शिलारसादिना धूप सिवायना बाकीना धूपविधिनो त्याग करे 'पेज्जविहि'त्ति पीवा लायक आहारनो प्रकार,
२. अहीं आदि शब्द होवाथी ते सिवायना बीजा द्रव्योनो ख्याल आवतो नथी, तो पण तेथी बीजा परिगणित अने परिमित द्रव्यो हो, परन्तु सूत्रकारे विस्तारना भयथी बीजा परिमित द्रव्योनो उल्लेख नहि करतां आदि शब्द मूक्यो छे.
१ आनंदा
ध्ययन
॥१४॥