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श्रीदे. चैत्यश्रीधर्म संघाचारविधौ ॥४०६॥
१४ नगाहिराजो १५ सहसकमलो१६॥शा के१७ कवडि निवासो १८लोहिच्चो१९ तालओ२० कयंवृत्ति २१ । सुरनरमुणिकय-|| श्रीदत्तनामो सिरिविमलगिरी जयउ तित्थं ॥४॥ रयणागरविवरोसहिरसकूविजुया सदेवया जत्थ । ढंकाइ पंच कूडा सो विमलगिरी
चरित्रम् जयउ तित्थं ॥५॥ जोरगछगम्मि असीइ सत्तरी सट्ठी पनरवारजोयणए । सगरयणीविच्छिन्नो सो विमलगिरी जयउ तित्थं ॥६॥ जो अट्ठजोअणुच्चो पन्ना दस जोयणो उ मुलुवरि । विच्छिन्नो रिसहजिणे सो विमलगिरी जयउ तित्थं ॥७॥ सिरिरिसहसेणप मुहा असंखतित्थंकरा समोसरिया । सिद्धा य जत्थ सेले सो विमलगिरी जयउ तित्थं ॥८॥ तह पउमनाहपमुहा समोसरिस्संति जत्थ मावजिणा । तं सिद्धखितनाम सिरिविमलगिरी जयउ तित्थं ॥९॥ सिरिनेमिनाहवजा जत्थ जिणा रिसहपमुहवीरंता । तेवीस समोसरिया सो विमलगिरी जयउ तित्थं ॥ १० ॥ जहिं रुप्पकणयमणिपडिमतियमुसहचेइयं भरहविहियं । सदुवीसजिणाययणं सो विमलगिरी जयउ तित्थं ॥११॥ बाहुबलिणा उ रम्मं सिरिमरुदेवाइ कारियं भवणं । जत्य समोसरणजुयं सो विमलगिरी जयउ तित्थं ॥१२॥ उस्सप्पिणीइ पढमं सिद्धो इह पदमचकिपढमसुओ। पढमजिगस्स य पढमो गणहारी जत्थ पुंडरिओ ।। १३ ।। चित्तस्स पुनिमाए समणाणं पंचकोडिपरिअरिओ। निम्मलजसपुंडरिओ जयउ तयं पुंडरियतित्थं ॥ १४ ॥ सव्वत्यसिद्धिपत्थडअं. तरिया पत्रकोडि लक्ख दह । सेढीहिं असंखाहिं चउदसलक्वाहि संखाहिं ॥ १५ ॥ जत्थाइचजसाई सगरंता रिसहवंसजनरिंदा। सिद्धिं गया असंखा जयउ तयं पुंडरियतिथं ॥१६॥ वासामु चउम्मासं जत्थ ठिया अजियसंतिजिणनाहा । वियसोलधम्मचक्की | जयउ तयं पुंडरियतित्थं ॥१७॥ दसकोडिसाहुमाहिया जत्थ दविडवालिखिल्लपमुहनिवा । सिद्धा नगाहिराए जयउ तयं पुंडरियतित्थं ॥१८॥ जहिं रामाइ तिकोडी इगनवई नारयाइ मुणिलक्खा । जाया उसिद्धराया जयउ तयं पुंडरियतित्थं ॥१९ । नेमि- ॥४०६॥
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