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________________ HAI amrite अमिततेजः कथा श्रीदे. चैत्य० श्री- धर्म संघाचारविधी ॥१६॥ सातत्येगेणं विजान जंपति ज SIMITED AGRIHITSpal लविऊ ॥२१ वरंपिदाणं जह अपने ॥१४॥ सुमिलाणवयगनयणा अह विडियसंधिबंधणापणिनाथरथरहरंतगचा देवी पंचत्तमणुपत्ता ॥१५॥ तं निचिटुं दट्टुं राया मुधुत सुट्ठ पलविचा। चिंतइ पाहिं कयं इमीड पाणप्पियाइ विणा ॥१६॥ ता दारुभारनिचियं चियं निवो सह इमीइ आरुहिउँ । जालेइ सयं जलणं जलिरुजलविरहजलगोवि ॥ १७ ॥ अह दिववत्यजुअला विलुलंतसकुंडला य गयणयला। ओयरिया खयरा दुन्नि झत्ति घोलंतलंकारा ॥१८॥ तत्गेणं विजानिमंतियजलेण जा चिया सित्ता । उप्पइय गया देवी विमुत्तु अट्टहास ता ॥१९॥ तो विम्हियहियएणं निवेण मणियं अहो अहो किमिणं । जंपति जोडियकरा ते खयराजद पहु ! सुणेहि ॥२०॥ सिरिअमियतेयविजाहराहिरायस्स दोऽवि पियपुसा । संमिनसोयदीवसिहनामया मो निमित्तरिऊ ||२१|| जा अजवि दो अम्हे समागंया इत्थ कीलणनिमित्तं । ता सुणिमो करुणसरं गयणे एगाइ इत्थीए ॥२२॥ हा नाइ! नाह! सिरिविजयराय हा हा सयंपहे अंमो। हा अमियतेयखयरिंदमाय महवीर मह वीर ।।२३।। अहह अणाहब ममं हरेइ खपराहमो इमो कोऽवि । ता एह एह मोयह इमाउ पाबाउ मं झत्ति ||२४|| नाउ नियं नाह! भइणि तो रे रे ठाहि ठाहि इय मणिरा । तप्पुट्टि लग्गा मो कड़ियसुकरालकरवाला ॥२५॥णे द? असणिघोसो मणिो रे खेयराहम! अणज । पुरिसो हवेसु सत्थं करेसु इंत णु विणट्ठोसि ॥२६ ।। ता देवीए भणिया पुअइ कजेण जाह जोइवणं । चइहि वेयालिणिविजमोहिओ मा पहू पाणे ।। २७ ।। पत्तेहिं तयणु लहु इह मयदेवीस्वधारिणीइ तुमे। वेयालिणीइ सहिया दिट्ठा जलियानलपविट्ठा ॥२८ पञ्चक्खं चिय सेसं तुम्भ | इय सोउ जा नियो अहियं । जाओ दुहिओ ता तेहिं पभणिओ मा पहु! विसीय ॥२९॥ कित्तियमिचो सो तुम्हाणं अम्गओ असणियोसो। गम्मउ परं वियडे फुरइ जमम्हं इय निमित्तं ॥३०॥ तो तेहिं तत्थ नीओ नायपबंधेण अमियतेएणं | संभासिओ MAIINDAINSTIC RAImeanimammin, in HAANAPATIRAL muTEHPURAISHITRA ॥१६८॥ IIT KRIT
SR No.600278
Book TitleChaityavandanbhashyam
Original Sutra AuthorDevendrasuri, Dharmkirtisuri
Author
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year1988
Total Pages490
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size12 MB
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