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________________ श्रीदे चैत्यश्रीधर्म० संघाचारविधौ इह वसुमई वसुमई सुनयसणाहा सणाहा य ॥ ८॥ रजावसरे चिरधरियनलिणिपत्तामिसेयसलिलेहिं । मिहुणेहिं व्हवणगेहि व नमिविन जप्पयपउमा य अमिरुइया ॥८६॥ नाणं वरविनाणं कलाउ सकला जओ पहुत्तं सा । रजं पहुत्तसझं पावेसि जणो य सयणो य । मिवृत्त | ॥८७॥ लोयंतिमग्गणा इव नमजणा सञ्जणा न के हुन्जा ? | संवच्छरियमवुच्छं किमिच्छियं जस्स दितस्स ।। ८८॥ चित्ताइम| हमीए महया महयामि गिहिरे जंमि । के के न बुहा विबुहा महिमं महिमंडले कासी ।। ८९ ॥ सो जयउ दुविहमोणो अजो अजे जणंतुऽणजेवि । कइया पुण दच्छामो तं तिजइंदं तिजयभाणुं ॥९०॥ तेण अदेवावि जणा देवाविव दिवरिद्धिणो विहिया। होउ तया य सयाविहु नमो नमो नमिरअमराय ।।९१॥ तत्तो तत्ततवाओ हुत्था सत्यावि अत्थमुकयत्था । तस्सेव किंकरा मो दासा पेसा य मिचा य ।। ९२ ॥ तंमि छउमत्थवत्थे विहरते महियलं पवित्र्तते । वरधम्मकित्तिपत्ता होउ सुभती सया अम्ह ॥ ९३ ॥ इय सत्तविमत्तिविभत्तिभत्तिभत्तीइ संथुओ रिसहो। वियरउ संपड़ संपइ सया विभत्तिं गयविभत्ति ॥२४॥]] अह वरिसंते गयउरि गओ पहू अत्थि जत्थ कुमरते। बाहुबलिपुत्तसोमपहधारिणीसूणु सिजंसो।।९५|| दटुं सुमिणं सुतेओ घडंगुणा धोविउं को मेरू । कुमरेण तहारिवलं कयसाहिजो जिणइ सुहडो॥ ९६ ॥ रविणो रस्सिसहस्सं भस्संत कुमरजोइयं दित्तं । इस कुमरनिवइसिट्टी नियनियसुमिणे कहिंसु तहा।।९७॥ सुन्छु तदत्यममुणिरा बुत्तु सुतेयार रिजयर पयासा३ या इह कुमरकया तो फलमस्सत्ति गया सठाणे ते ॥९८ ॥ तिजयावाम वामंसदेसठियवामदेवसेण । तित्थंकरवेसेणं विभूसियं भूसणविमुकं ॥९९॥ पासित्तु सगिहमितं पहुं विचितह तया य सिजंसो । एरिसलिंग नणु मे मुदिट्ठपुर्व सरह इय तो॥१०॥ (पारावई जयपुजं) पुर्व पुढविदेहे पुक्खलवइविजयपुंडरिगिणीए । निववयरसेणु रजं चाय गिहेसित्ति जिणलिंगं ।। १०१॥ नेषुत्तमिमे | ill॥१६॥
SR No.600278
Book TitleChaityavandanbhashyam
Original Sutra AuthorDevendrasuri, Dharmkirtisuri
Author
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year1988
Total Pages490
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size12 MB
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