________________
अग्रपूजायां हरिकूटसंबंध:
IS
श्रीदे
रोयंती अवगल्ला जाया भत्ते अरोयंते ॥७५ ॥ निआमियमिह वेरं किड पुत्तमिसेण भद्दमित्तेण १। विवसा मरिस्समखमा हुजीवि
यं अपस्संती ।।७६ ॥ इय अट्टदुहट्टा सा मरिउं जाया तर्हि वणे वग्घी । खद्धो तीइ सपुत्तो स भद्दमिचो तहिं खुचो ।।७७॥ धर्म संघा-Vतो सीहसेणरनो स सीहचंदुचि नंदणो पढमो । जाओ बीओऽवि तहा पुत्तो से पुग्नचंदुत्ति ॥७८।। अह कइयांवि पविडो भंडारे चारविधी सीहसेणनहनाहो । दट्ठोसु निठुरं तेण दीहपितॄण रुद्वेण ॥ ७९ ॥ तधिसवेगवसगओ गओ नरिंदो धसत्ति धरणियले । कीरंती॥७३॥ | सुवि किरियासु नेव कोवि हु गुणो जाओ ।।८०। अहिणो अहाहितुंडियवरेण आवाहिया लहुं तत्थ । पत्ता सव्वेऽवि विसजिया
| उनिहोसिणो जे उ ॥८१॥ रहिओ अगंधणो सो भणिओ विजावलेण तो तेण । गिण्डसु मुकं नियगरल लहु कलय जलंतजलणं वा ।।८।। अह अहिमाणधणेणं जालामालाउलंमि जलणमि । विहिओ तेण पवेसो न य भुत्तं नियगरं बतं ॥ ८३॥ यदा
"पखंदे जलिय जोई, धूमकेउं दुरासयं । नेच्छंति वंतयं भोत्तुं, कुले जाया अगंधणे ।। ८४॥" तबिसविहुरियगतो तत्तो पत्तो | निवोऽवि पंचत्तं । रज्जे उ सीहचंदो अहिसित्तो तस्स जिट्ठमओ॥८५|| अह रामकण्हदेवीइ सोयविहुराइ निययध्याए । संबोह
स्थं पत्ता पवत्तिणी हिरिमई तत्थ ।। ८६ ॥ अविय-वासोउच्च मुमेहा अदिट्टदोसायरा अरयसंगा। ससघरधवलंबरसच्छमाणसा | सरयलच्छिन्द ।।८७॥ अंगीकयपरमहिमा विउडियकमलायरा हिमोउच । परिखिज्जमाणदोसा मुसीयला सिसिरमइयव्व ।। ८८ ॥ | परहुयमहुरालावानंदियलोया वसंतमुत्तिव्य ॥ गिम्हसिरी इव कयजणबहुसेया उग्गतवनाहा ।।८९॥ इय सबकालसील पवत्तिर्णि
आगयं मुणिय नमिउं । पत्ता जुत्ता पुत्तेहिं रामकण्हा तओ देवी ।। ९० ।। नमिय निविट्ठाएँ तीए हिरिमई धम्मदेसणं कुणई । परपुट्टकंठउट्टितमहुरसरसरिसवाणीए॥९१॥ "धम्मे अतुच्छसुहृदे वच्छे ! सच्छासए पमायंती। मा गच्छ इह सुतुच्छे सुक्खे विणिवा- | H
॥७३॥