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जीवंतेहिं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारिअं पवइत्तए ॥९४॥ तएणं सा तिसला खत्तियाणी व्हाया कयबलिकम्मा कयकोउयमंगलपायच्छित्ता सवालंकारविभूसिया तं गब्भं । नाइसीएहिं नाइउण्हेहिं नाइतित्तेहिं नाइकडुएहिं नाइकसाइएहिं नाइअंबिलेहिं नाइमहु-181 रेहिं नाइनिहिं नाइलुक्खेहिं नाइउल्लेहिं नाइसुक्केहिं सबत्तुगभयमाणसुहेहिं भोयणच्छा-5/ यणगंधमल्लेहिं ववगयरोगसोगमोहभयपरिस्समा जं तस्स गम्भस्स हिअं मियं पत्थं है। गब्भपोसणं तं देसे अ काले अ आहारमाहारेमाणी विवित्तमउएहिं सयणासणेहिं पइरिकसुहाए मणोऽणुकूलाए विहारभूमीए पसत्थदोहला संपुण्णदोहला संमाणियदोहला अवि-है। माणिअदोहला वुच्छिन्नदोहला ववणीअदोहला सुहंसुहेणं आसइ सयइ चिट्ठइ निसीअइ है। तुयट्टइ विहरइ सुहंसुहेणं तं गब्भं परिवहइ॥९॥तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं
१ जाव (क० कि०)