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________________ SASA कल्प० ॥२४॥ 1 निप्फंदे निरेयणे अल्लीणपल्लीणगुत्ते आवि होत्था ॥९१॥ तएणं तीसे तिसलाए खत्ति-1 बारसो याणीए अयमेयारूवे जाव संकप्पे समुप्पन्जित्था-हडे मे से गन्भे, मडे मे से गम्भे, चुए मे है से गब्भे, गलिए मे से गम्भे, एस मे गब्भे पुत्विं एयइ, इयाणि नो एयइ तिकडे ओहयमण-है संकप्पा चिंतासोगसागरसंपविट्ठा करयलपल्हत्थमुही अट्टज्झाणोवगया भूमीगयदिद्विया । झियायइ, तंपि य सिद्धत्थरायवरभवणं उवरयमुइंगतंतीतलतालनाडइजजणमणुलं दीण-1 विमणं विहरइ ॥९२॥ तएणं से समणे भगवं महावीरे माऊए अयमेयारूवं अब्भत्थि पत्थिअंमणोगयं संकप्पं समुप्पन्नं वियाणित्ता एगदेसेणं एयइ, तएणं सा तिसला खत्तियाणी हद्वतुट्ठा जाव हयहिअया एवं वयासी ॥९३॥-नो खलु मे गन्भे हडे जाव नो गलिए, मेगब्भे पुविनो एयइ,इयाणिं एयइ तिकडे हटु जाव एवं विहरइ, तएणं समणे भगवंमहा-2 वीरे गब्भत्थे चेव इमेयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हइ- नो खलु मे कप्पइ अम्मापिउहिं| 454545454505605645457 R AN
SR No.600261
Book TitleKalpsutram
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1914
Total Pages142
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size9 MB
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